Sardar Vallabhbhai Patel par Kavita. दोस्तों आज हमने भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जी पर कुछ कविताएं प्रकाशित की हैं। पहली कविता बारदोली का वो सरदार श्री केएम जी ने लिखी है। सरदार पटेल पर दूसरी कविता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बनाए जाने के उपलक्ष में लिखी गई है। जबकि सरदार पटेल पर तीसरी कविता 'पटेल पर स्वदेश को गुमान है' प्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय बच्चन ने लिखी है। हम आशा करते हैं कि आप सरदार पटेल पर लिखी गई तीनों कविताएं आपको पसंद आएगी। तो दोस्तों तीनों कविताओं को आप पढ़ें और हमें कमेंट बॉक्स में बताएं कि आपको यह कविताएं कैसी लगी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविता। Sardar Vallabhbhai Patel par Kavita
दोस्तों आज हमने भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जी पर कुछ कविताएं प्रकाशित की हैं। पहली कविता बारदोली का वो सरदार श्री केएम जी ने लिखी है। सरदार पटेल पर दूसरी कविता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बनाए जाने के उपलक्ष में लिखी गई है। जबकि सरदार पटेल पर तीसरी कविता 'पटेल पर स्वदेश को गुमान है' प्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय बच्चन ने लिखी है। हम आशा करते हैं कि आप सरदार पटेल पर लिखी गई तीनों कविताएं आपको पसंद आएगी। तो दोस्तों तीनों कविताओं को आप पढ़ें और हमें कमेंट बॉक्स में बताएं कि आपको यह कविताएं कैसी लगी।
बारदोली का वो सरदार - के.एम. भाई, कानपुर
बारदोली का वो सरदार, जिसे झोपड़ी से था प्यार-
मिट्टी में जन्मा, मिट्टी के खातिर जिसने सत्याग्रह छेड़ा था-
खूब लड़ा वो जिसने गोरों को खदेड़ा था-
एकता का वो दूत जिसने रजवाड़ों को जोड़ा था-
वीर-बलिदानी जिसने देश की खातिर वजीर-ए-आलम का पद छोड़ा था-
ज्वालामुखी सा तेज अखंडता की चट्टान था वो-
जिसने गांधी के संग राष्ट्र निर्माण का सपना देखा था-
लड़ा भी वो, मिटा भी वो, जन-जन की पहचान था वो
स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी पर कविता
लोह पुरुष की ऐसी छवि
ना देखी, ना सोची कभी
आवाज में सिंह सी दहाड़ थी
ह्रदय में कोमलता की पुकार थी
एकता का स्वरूप जो इसने रचा
देश का मानचित्र पल भर में बदला
गरीबो का सरदार था वो
दुश्मनों के लिए लोहा था वो
आंधी की तरह बहता गया
ज्वालामुखी सा धधकता गया
बनकर गाँधी का अहिंसा का शस्त्र
महकता गया विश्व में जैसे कोई ब्रहास्त्र
इतिहास के गलियारे खोजते हैं जिसे
ऐसे सरदार पटेल अब ना मिलते पुरे विश्व में
पटेल पर स्वदेश को गुमान है - हरिवंश राय बच्चन
यही प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल
यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल
हिला इसे सका कभी न शत्रु दल
पटेल पर स्वदेश को गुमान है
सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किए जगह
हृदय गंभीर है समुद्र की तरह
कदम छुए हुए जमीन की सतह
पटेल देश का निगहबान है
पटेल पर स्वदेश को गुमान है
हरेक पक्ष को पटेल तौलता
हरेक भेद को पटेल खोलता
दुराव या छिपाव से उसे गरज?
सदा कठोर नग्न सत्य बोलता
पटेल हिंद की निडर जुबान है
पटेल पर स्वदेश को गुमान है
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