गणित विषय की हमारे जीवन में उपयोगिता / यदि गणित ना होता पर निबंध : यदि गणित ना होता तो संख्या, परिमाण मात्रा निश्चित करने की विधि नहीं होती। गणना का महत्व समाप्त हो जाता। गणना के अभाव में संसार की स्थिति ही गड़बड़ हो जाती। गणितीय योग, भाग, गुणन और ऋण के अभाव में सामान्य व्यवसायिक व्यवहार ना होता और विज्ञान तथा वैज्ञानिक उन्नति भी धरी की धरी रह जाती। यदि गणित ना होता विद्यार्थी एक क्लिस्ट और शुष्क विषय से तो बच जाते पर भौतिक विज्ञान का क्षेत्र शून्य रह जाता। जर्मन विद्वान फ्रेबल के अनुसार यदि गणित ना होता तो मनुष्य और प्रकृति आंतरिक और बाहरी जगत विचार और प्रत्यक्ष ज्ञान में मध्यस्थता नहीं हो पाती क्योंकि गणित के सिवाय अन्य कोई विषय इस कार्य को नहीं कर सकता। ‘Mathematics stands forth as that which unites, mediates between Man and nature, inner and outer world thoughts perception as no other subject does.’
यदि गणित ना होता तो संख्या, परिमाण मात्रा निश्चित करने की विधि नहीं होती। गणना का महत्व समाप्त हो जाता। गणना के अभाव में संसार की स्थिति ही गड़बड़ हो जाती। गणितीय योग, भाग, गुणन और ऋण के अभाव में सामान्य व्यवसायिक व्यवहार ना होता और विज्ञान तथा वैज्ञानिक उन्नति भी धरी की धरी रह जाती। यदि गणित ना होता विद्यार्थी एक क्लिस्ट और शुष्क विषय से तो बच जाते पर भौतिक विज्ञान का क्षेत्र शून्य रह जाता।
महान गणितज्ञ डेमोलिंस बोडार्स का कथन है गणित के बिना दर्शनशास्त्र की गहराई नहीं नापी जा सकती। दर्शनशास्त्र के बिना गणित की गहराई नहीं नापी जा सकती। दोनों के बिना किसी वस्तु की गहराई नापी जा सकती है।
गणित ना होता तो वेदांगों और शास्त्रों का शीर्ष ही समाप्त हो जाता क्योंकि वेदांग ज्योतिष के अनुसार-
यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।
तद्वद् वेदांद सास्त्राणां गणितं मूर्घ्नि संस्थितम्।।
जैसे मयूरो की शिखा नागों की मणियां सिर पर होती हैं उसी प्रकार वेदांगों के शीर्ष पर गणित थी।
जर्मन विद्वान फ्रेबल के अनुसार यदि गणित ना होता तो मनुष्य और प्रकृति आंतरिक और बाहरी जगत विचार और प्रत्यक्ष ज्ञान में मध्यस्थता नहीं हो पाती क्योंकि गणित के सिवाय अन्य कोई विषय इस कार्य को नहीं कर सकता। ‘Mathematics stands forth as that which unites, mediates between Man and nature, inner and outer world thoughts perception as no other subject does.’
अंग्रेजी गणितज्ञ जे एस हर्बर्ट की धारणा है कि यदि गणित ना होता तो प्रत्ययों के द्वारा रूपों की धारणा की दिशा में हर युग के महत्तम मस्तिष्कों ने जो कुछ प्राप्त किया है वह ना कर पाता। कारण, गणित ही वह महान विद्वान है जिसमें यह संग्रहित है। ‘Everything that the greatest mind of all times have accomplished towards the comprehension of forms by means of concepts gathered into one great Science, Mathematics.’ इतना ही नहीं हर्बर्ट तो गणित को निश्चयात्मक और स्पष्टता की पुजारिन मानता है।
सरल शब्दों में कहें तो यदि गणित ना होता तो परिमाण, मात्रा तथा संख्या का काम कैसे हो पाता, हिसाब किताब कैसे रखा जाता। किस को क्या आज कितना लेना देना है कैसे जान पाते। व्यापार का आधार ही गणित है। आधार हटा दो व्यापार गया। अर्थ तंत्र डूबा तो विश्व व्यापार की रीड की हड्डी टूट गई अब क्या रह जाएगा।
गणित के तीन रूप हैं- अंकगणित, बीजगणित और रेखा गणित। इन तीनों का ज्ञान अन्य विषयों का अनिवार्य अवलम्ब है। जैसे अंकगणित के बिना बुककीपिंग अधूरी है। रेखागणित के बिना इंजीनियरिंग अपंग है। बीजगणित के बिना विज्ञान की टेक्नोलॉजी की कमर टूट जाती है। जब कोई उपग्रह अंतरिक्ष में जाता है तो आपने सुना होगा की उल्टी गिनती जब शून्य पर पहुंचती है तो उपग्रह से आग की लपटें निकल कर उसे अंतरिक्ष में धकेल देती हैं। यह उल्टी गिनती क्या है गणना अर्थात् गणित।
इतने महत्वपूर्ण जीवन और जगत के रहस्य प्रकट कर्ता गणित का स्वयं रहस्यमय होना स्वाभाविक है। गणित विद्यार्थियों के लिए डरावना विषय है। अंक गणित पर महाकाली दुर्गा के दर्शन होते हैं। छात्र अलजेब्रा को आगे झगड़ा समझते हैं। ज्योमिट्री को ऐसी ज्योतिर्मई मानता है जिसके तीव्र प्रकाश में उसके नेत्र ही नहीं ह्रदय भी चौंधिया जाता है। इसलिए विद्यार्थी फेल होते हैं। वे किसी तरह उत्तीर्णांक प्राप्त कर लेते हैं किंतु श्रेणी गिर जाती है। इसलिए यदि गणित ना होता तो सामान्य विद्यार्थी अच्छा अंक लेकर अपने जीवन से उन्नति का मार्ग तो प्रशस्त कर सकता था। हिंदी के उपन्यास सम्राट और महान कथाकार प्रेमचंद जी को ही लीजिए गणित के कारण बी.ए. में कई बार फेल हुए गणित की अनिवार्यता हटी तो बी.ए. कर सकें।
दूसरी ओर गणित विषय ना होता तो विद्यार्थी का मस्तिष्क एकाग्र ना हो पाता। क्योंकि गणित के सवाल मन की एकाग्रता से होते हैं जरा ध्यान विचलित हुआ कि समाधान डगमगाएगा, समाधान डगमगाते ही प्रश्न का निष्कर्ष अर्थात् उत्तर गलत हो जाएगा।
तीसरी और गणित ना होता तो विद्यार्थी की चिंतन शक्ति का ह्वास हो जाता। चिंता शक्ति की क्षीणता से जीवन की प्रगति ही अवरूद्ध हो जाती है। मनु का कहना है एकाकी चिंतन करने वाला श्रेष्ठता को प्राप्त करता है।
जर्मन कवि का कहना है कि यदि गणित ना होता तो गणितज्ञ ना होते। गणितज्ञ ना होते तो उनकी फ्रांसीसियों से उपमा व्यर्थ हो जाती। कारण गणितज्ञ फ्रांसिसियों की तरह होते हैं कुछ कहोगे उसे अपनी भाषा में अनूदित कर लेते हैं और उसी क्षण बात बिल्कुल भिन्न हो जाती है।
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