जैसे को तैसा पंचतंत्र की कहानी। Jaise ko Taisa Kahani in Hindi
रामदास ने सोचा, अब यहां रहने से क्या लाभ ? किसी दूसरे देश में जाकर काम करना चाहिए। हो सकता है, दूसरे देश में जाने से भाग्य बदल जाए और फिर व्यापार चलने लगे। रामदास ने दूसरे देश जाने का निश्चय कर लिया। जो कुछ उसके पास था, बेच दिया। केवल लोहे की एक छड़ रह गई, जो वजन में 5 किलो थी।
रामदास जब दूसरे देश में जाने लगा तो वह अपने एक घनिष्ठ मित्र से मिलने गया। उसने अपने मित्र को विदेश जाने की बात बता कर कहा, “भाई, मैंने सारा माल बेच दिया है। लोहे की एक छड़ रह गई है, जो वजन में 5 किलो है। मैं उसे तुम्हारे पास रखना चाहता हूं। जब कभी विदेश से लौट कर आऊंगा, तब ले लूंगा। “मित्र ने कहा कि मुझे तुम्हारे विदेश जाने पर बहुत दुख है, घबराओ नहीं समय आने पर सब कुछ ठीक हो जाएगा। जब तुम लौट कर आओगे, तो तुम्हारी चीज तुम्हें मिल जाएगी।
रामदास ने लोहे की छड़ मित्र के घर रख दी। रामदास निश्चिंत होकर विदेश चला गया। उसने विदेश में कामकाज करना प्रारंभ किया। समय ने उसका साथ दिया। धीरे-धीरे उसके कामकाज में उन्नति होने लगी और एक दिन ऐसा आया, जब वह पुनः पहले की भांति अमीर बन गया। कई वर्षों के बाद रामदास पुनः लौट कर अपने घर में आ गया। वह एक बहुत बड़ा मकान खरीद कर बड़ी शान के साथ रहने लगा।
जब कुछ दिन बीत गए, तो रामदास लोहे की छड़ लेने के लिए अपने मित्र के घर गया। मित्र ने उसके लौट आने पर खुशी तो प्रकट की, पर जब उसने लोहे की छड़ की चर्चा की तो वह उदास हो गया, बड़े ही दुख के साथ बोला, “क्या बताऊं, भाई, मैंने तुम्हारी लोहे की छड़ सुरक्षित रूप से गोदाम में रखवा दी थी, कई महीनों बाद जब उसे देखने गया, तो पता चला की छड़ को चूहे खा गए हैं, मुझे बड़ा दुख हुआ। तुम्हारे सामने मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहा।"
मित्र की बात से रामदास समझ तो गया कि वास्तव में क्या है, परंतु उसने अपने मन की भाव को प्रकट नहीं होने दिया। वह बड़ी ही सज्जनता के साथ बोला, “कोई बात नहीं। चूहे खा गए, तो खा जाने दो। तुम उसके लिए बिल्कुल चिंता और दुख मत करो ऐसा तो होता ही रहता है।“ रामदास जब मित्र से विदा होकर चलने लगा, तो बड़े ही स्वाभाविक ढंग से बोला, “एक बात तो कहना ही भूल गया, मैं विदेश से तुम्हारे लिए उपहार की एक वस्तु लाया हूं। तुम अपने पुत्र रमेश को मेरे साथ भेज दो। मैं उसे दे दूंगा।"
मित्र मन ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा, मैंने इसकी लोहे की छड़ बेचकर अधिक मुनाफा कमाया है। अब इसकी दी हुई उपहार की वस्तु की बेचकर और अधिक लाभ कमा लूंगा। यह भी कैसा आदमी है। मुझसे नाराज ना हो कर उपहार प्रदान कर रहा है। मित्र ने शीघ्र ही अपने लड़के रमेश को बुलाकर रामदास के साथ भेज दिया। रामदास रमेश को साथ लेकर अपने घर आ गया। उसने रमेश को एक तहखाने में बंद करके बाहर से एक ताला लगा दिया।
जब शाम तक रमेश घर लौटकर नहीं आया, तो उसका पिता बहुत घबरा गया। उसने रामदास के पास जाकर उससे पूछा, “भाई, मैंने रमेश को तुम्हारे साथ भेजा था, पर वह अभी तक लौट कर घर नहीं आया, वह कहां गया होगा मुझे यह सोचकर बड़ी ही चिंता हो रही है।“ रामदास ने मुंह बनाकर बड़े ही दुख के साथ कहा, “क्या बताऊं भाई, मैं जब रमेश को लेकर घर की ओर आ रहा था, तो मार्ग में एक बाज झपट पड़ा। वह मेरे देखते ही देखते, रमेश को उड़ा ले गया। मैं करता तो क्या करता ? बस चीख-पुकार कर रह गया।"
रामदास की बात सुनकर मित्र बिगड़ कर बोला, “क्या कह रहे हो, लगता है तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ? कहीं बाज भी आदमी को उड़ा ले जा सकता है ? तुमने अवश्य मेरे लड़के को कहीं छुपा रखा है।“ मित्र ने शोरगुल मचाया। आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। उसने शोर मचाते हुए कहा, “रामदास ने मेरे लड़के को कहीं छुपा रखा है ? कहता है, लड़के को बाज उठा ले गया है। भला जवान लड़के को बाज उठाकर कैसे ले जा सकता है ?“ लोगों ने रामदास को बहुत समझाया, पर उनके समझाने पर भी रामदास अपनी बात पर टिका रहा, उसने कहा, “सचमुच इस के लड़के को बाज उठा ले गया है। बाज कोई राक्षस रहा होगा। मैं क्या कर सकता हूं।"
जब इस प्रकार झगड़ा शांत नहीं हुआ तो मित्र न्यायालय में गया। उसने न्यायाधीश के सामने जाकर कहा, “श्रीमान, रामदास बड़ा बेईमान है ? इसने मेरे लड़के को छिपा रखा है, पर कहता है, उसे तो बाज उठा ले गया है। अब आप ही बताइए, भला यह कैसे संभव है कि एक जवान लड़के को बाज उठाकर ले जाए ? आप कृपा करके रामदास से मेरे लड़के को दिलवा दीजिए।“
न्यायाधीश ने रामदास को बुलवाकर उससे पूछा, “क्यों, क्या बात है ? क्या तुमने सचमुच इसके लड़के को छुपा रखा है ?“ रामदास ने उत्तर दिया, “नहीं महोदय, मैंने इसके लड़के को नहीं छुपाया है। इसके लड़के को सचमुच बाज उठा ले गया है।“ न्यायाधीश ने आश्चर्य के साथ कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो। भला बाज जवान लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है।“ रामदास ने उत्तर दिया, “महोदय, जब 5 किलो वजनी छड़ को चूहे खा सकते हैं, तो जवान लड़के को बाज उठाकर क्यों नहीं ले जा सकता ?“
यह बात सुनकर न्यायाधीश ने कहा, “क्या मामला है ? 5 किलो वजन की लोहे की छड़ को चूहे कैसे खा सकते हैं, यह बात मेरी समझ में ना आई। अब पहेली मत बुझाओ, साफ-साफ कहो। रामदास ने पूरी कहानी सुनाकर कहा, “महोदय, वजन में 5 किलो लोहे की छड़ को चूहे कैसे खा सकते हैं ? यह आदमी बेईमान है। इसने मेरे साथ बेईमानी की है। इसके अनुसार चूहे लोहे की छड़ को खा गए। फिर अगर बाज भी जवान लड़के को उठाकर ले गया हो, तो फिर इसमें आश्चर्य नहीं मानना चाहिए।“ मित्र के समझ में यह बात आ गई कि उसने रामदास के साथ जो छल किया है, यह उसी का परिणाम है।
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