वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित
अवयव :
स्थाई भाव : उत्साह।
आलंबन (विभाव) : अत्याचारी शत्रु।
उद्दीपन (विभाव) : शत्रु का अहंकार, रणवाद्य, यश की इच्छा आदि।
अनुभाव : गर्वपूर्ण उक्ति, प्रहार करना, रोमांच आदि।
संचारी भाव : आवेग, उग्रता, गर्व, औत्सुक्य, चपलता आदि।
उदाहरण (1)
मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे
है और कि तो बात क्या, गर्व मैं करता नहीं
मामा तथा निज तात से भी युद्ध में डरता नहीं
उदाहरण 2
साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं।।
स्पष्टीकरण : प्रस्तुत पद में शिवाजी कि चतुरंगिणी सेना के प्रयाण का चित्रण है। इसमें शिवाजी के ह्रदय का उत्साह स्थाई भाव है। युद्ध को जीतने कि इच्छा आलंबन है। नगाड़ों का बजना उद्दीपन है। हाथियों के मद का बहना अनुभाव है तथा उग्रता संचारी भाव है। इनमें सबसे पुष्ट उत्साह नामक स्थाई भाव वीर रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
Nice
ReplyDeleteHasy ka bhi dal do sir
ReplyDeleteokay
Deletemast he
ReplyDeleteAur sab bhed ka bhi dal dijiye sir
ReplyDeleteधन्यवाद आपके सुझाव के लिए।
ReplyDelete