हिंदी कहानी कठपुतली का नाच : छतरपुर में एक ठाकुर रहा करते थे जिनका नाम था रणवीर सिंह। उनकी उदारता के किस्से दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। उन के दीवान करम चन्द उनसे भी दो हाथ आगे थे चारों तरफ उनकी चतुराई और ज्ञान का बोलबाला था। छत्रपुर के सारे काम-काज दीवान जी ही देखते थे। उनके होते हुए ठाकुर रणवीर सिंह को किसी भी तरह की फ़िक्र नहीं था।
हिंदी कहानी कठपुतली का नाच
छतरपुर में एक ठाकुर रहा करते थे जिनका नाम था रणवीर सिंह। उनकी उदारता के किस्से दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। उन के दीवान करम चन्द उनसे भी दो हाथ आगे थे चारों तरफ उनकी चतुराई और ज्ञान का बोलबाला था। छत्रपुर के सारे काम-काज दीवान जी ही देखते थे। उनके होते हुए ठाकुर रणवीर सिंह को किसी भी तरह की फ़िक्र नहीं था। रणवीर सिंह भी दीवान जी का बहुत सम्मान करते थे और हर बात में उनकी सलाह जरूर लेते थे। रियासत बहुत बड़ी थी इस लिये दीवानजी को जगह-जगह घूमना फिरना पड़ता था। इसलिए दीवान जी का वेतन भी काफी ज्यादा था। सारी जनता दीवानजी को बहुत मान देती थी सिवाय ठाकुर साहब के नौकर सुन्दर के। सुन्दर को हमेशा इसी बात का अफ़सोस रहता था की सेवा तो वो भी ठाकुर साहब की बहुत करता है फिर उसे उतना सम्मान क्यों नहीं मिलता। यही बात हमेशा उसको परेशान करती थी। एक दिन ठाकुर साहिब अपनी रियासत का दौरा करने निकले। सुन्दर भी उनके साथ था। अकेले में मौका पाकर सुन्दर ने अपने मन की बात ठाकुर साहिब से कह दी और विनती की कि उसको भी दीवानजी के जितना ही वेतन मिलना चाहिए। रणवीर सिंह ने सुन्दर की बात बहुत ध्यान से सुनी और कहा कि “तुम ठीक कहते हो सुन्दर, हम घर जाकर तुम्हारी बात पर विचार करेंगे ”।
इतने में कुछ शोर-गुल की आवाज़ सुनाई पड़ी। ठाकुर साहिब ने सुन्दर को कहा कि वो जाकर देखे कि शोर कैसा है। सुन्दर भागता हुआ वहाँ गया और वापस आकर बताया कि वो बंजारे हैं।
“वो तो ठीक है, मगर वो कहाँ से आए हैं”, ठाकुर साहिब ने फिर पूछा।
सुन्दर फिर भाग कर वहां गया और आकर बोला कि वो राजस्थान से आए हैं।
“वो कौन लोग हैं और करते क्या हैं , जरा पता तो करो ”, ठाकुर साहिब ने फिर पूछा।
सुन्दर फिर भाग कर वहां गया और आकर बताया कि वो कठपुतली वाले हैं।
“पर वो यहाँ क्या करने आएँ हैं”, ठाकुर साहिब ने फिर प्रश्न किया।
सुन्दर फिर भाग कर गया और आकर बताया कि वो यहाँ कठपुतली का नाच दिखाने आए हैं।
“सुन्दर, जाकर पता तो करो कि क्या ये लोग आज रात हमको कठपुतली का नाच दिखाएँगे ?” सुन्दर फिर भागा गया और आकर बताया कि वो लोग आज रात को पुतली का नाच दिखाएँगे।
सुन्दर अब तक थक कर चूर हो चूका था उसकी समझ में नहीं आ रहा था की इन छोटी-छोटी बातों के लिए ठाकुर साहब उसे बार-बार क्यों परेशां कर रहे हैं। इतने में दीवनजी आये और ठाकुर साहिब ने उनसे भी यही सवाल किया कि वो जाकर देखें कि शोर कैसा है। दीवानजी गए और थोड़ी देर में आकर बताया कि ये लोग राजस्थान के बंजारे हैं और कठपुतली का नाच कराते हैं। सुना है कि ये लोग अपने काम में बहुत माहिर हैं, इसी लिए मैंने इनसे कहा है कि आज रात को ये यहाँ पर आपको अपनी कला का प्रदर्शन दिखाएँ।
सुन्दर ये सब बड़े गौर से देख रहा था। इस से पहले कि ठाकुर साहिब कुछ कह पाते उसको अपनी गलती का एहसास हो गया। वो हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और बोला, “अन्नदाता आज आपने मेरी आँखें खोल दी। मैं जहाँ भी हूँ और जैसा भी हूँ ठीक हूँ। मैंने बिना किसी कारण दीवान जी के बारे में गलत सोचा और उनसे मन ही मन ईर्ष्या रखने लगा मुझे माफ़ कर दीजिये।
सुन्दर को अब समझ आ गया था की व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है।
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