लोकोक्तियाँ और मुहावरे : मुहावरे : कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को हटाकर किसी अलग अर्थ को व्यक्त करता है वह मुहावरा कहलाता हैं।
लोकोक्तियाँ और मुहावरे :
मुहावरे : कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को हटाकर किसी अलग अर्थ को व्यक्त करता है वह मुहावरा कहलाता हैं।
लोकोक्तियाँ : लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बन जाती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।
- आम के आम गुठलियों के दाम = दोहरा लाभ होना
- तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार = दृढ प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पे डटे रहते हैं
- सौ सुनार की, एक लुहार की = निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक चोट काफीहै
- भई गति सांप छछूंदर केरी = असमंजस की स्थिति में पड़ना
- अपने मुहं मियाँ मिट्ठू बनना = स्वयं की प्रशंसा करना
- आँख का अँधा गाँठ का पूरा = धनी मूर्ख
- अंधेर नगरी चौपट राजा = मूर्ख के राजा के राज्य में अन्याय होना
- आ बैल मुझे मार = जान बूझकर लड़ाई मोल लेना
- तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार = दृढ प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पे डटे रहते हैं
- सौ सुनार की, एक लुहार की = निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक चोट काफीहै
- भई गति सांप छछूंदर केरी = असमंजस की स्थिति में पड़ना
- पुचकारा कुत्त सिर चढ़े = ओछे लोग मुहंलगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं
- मुहं में राम बगल में छुरी = कपटपूर्ण व्यवहार
- आगे नाथ न पीछे पगहा = पूर्ण रूप से आज़ाद होना
- अपनी करनी पार उतरनी = जैसा करना वैसा भरना
- आधा तीतर आधा बटेर = बेतुका मेल
- अंधों में काना राजा = अज्ञानियों में अल्पज्ञ की मान्यता होना
- अपनी अपनी ढफली अपना अपना राग = अलग अलग विचार होना
- अक्ल बड़ी या भैंस = शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना
- आम के आम गुठलियों के दाम = दोहरा लाभ होना
- अपना हाथ जगन्नाथ = अपना किया हुआ काम लाभदायक होता है
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत = पहले सावधानी न बरतना और बाद में पछताना
- आगे कुआँ पीछे खाई = सभी और से विपत्ति आना
- एक पंथ दो काज = एक काम से दूसरा काम
- एक थैली के चट्टे बट्टे = समान प्रकृतिवाले
- तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता = झूठी रईसी दिखाना
- पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं = पराधीनता में सुख नहीं है
- प्रभुता पाहि काहि मद नहीं = अधिकार पाकर व्यक्ति घमंडी हो जाता है
- एक म्यान में दो तलवार = एक स्थान पर दोसमान गुणों या शक्ति वाले व्यक्ति साथ नहींरह सकते
- एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है = एक खराब व्यक्ति सारे समाज को बदनाम कर देता है
- एक हाथ से ताली नहीं बजती = झगड़ा दोनों और से होता है
- एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा = दुष्ट व्यक्ति में और भी दुष्टता का समावेश होना
- एक अनार सौ बीमार = कम वस्तु , चाहने वाले अधिक
- एक बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय = अकर्मण्य को कोई भी नहीं रखना चाहता
- ऊंची दूकान फीका पकवान = मात्र दिखावा
- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे = अपना दोष दूसरे के सर लगाना
- उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना = धीरे धीरे साहस बढ़ जाना
- उलटे बांस बरेली को = विपरीत कार्य करना
- उतर गयी लोई क्या करेगा कोई = इज्ज़त जाने पर डर कैसा
- ऊधौ का लेना न माधो का देना = किसी से कोई सम्बन्ध न रखना
- ऊँट की चोरी निहुरे - निहुरे = बड़ा कामलुक - छिप कर नहीं होता
- ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना = जान बूझकर प्राणों की संकट में डालने वाले प्राणों की चिंता नहीं करते
- अंगूर खट्टे हैं = वस्तु न मिलने पर उसमें दोष निकालना
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली = बेमेल एकीकरण
- काला अक्षर भैंस बराबर = अनपढ़ व्यक्ति
- गंजेड़ी यार किसके, दम लगाई खिसके = स्वार्थ साधने के बाद साथ छोड़ देते हैं
- गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज = ढोंग रचना
- कोयले की दलाली में मुहं काला = बुरे काम से बुराई मिलना
- काम का न काज का दुश्मन अनाज का = बिना काम किये बैठे बैठे खाना
- काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती= कपटी व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
- का बरखा जब कृषि सुखाने = काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है
- कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर = समय पड़ने पर एक दुसरे की मदद करना
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया = कठिन परिश्रम का तुच्छ परिणाम
- खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे = अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना
- खग जाने खग की ही भाषा = समान प्रवृति वाले लोग एक दुसरे को समझ पाते हैं
- घर की मुर्गी दाल बराबर = अपनी वस्तु का कोई महत्व नहीं
- घर का भेदी लंका ढावे = घर का शत्रु अधिक खतरनाक होता है
- होनहार बिरवान के होत चिकने पात = होनहार व्यक्ति का बचपन में ही पता चल जाता है
- बद अच्छा बदनाम बुरा = बदनामी बुरी चीज़ है
- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा = सिद्धांतहीन गठबंधन
- कानी के ब्याह में सौ जोखिम = कमी होने पर अनेक बाधाएं आती हैं
- घर खीर तो बाहर भी खीर = अपना घर संपन्नहो तो बाहर भी सम्मान मिलता है
- चिराग तले अँधेरा = अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता
- शौक़ीन बुढिया चटाई का लहंगा = विचित्रशौक
- सूरदास खलकारी का या चिदै न दूजो रंग = दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता
- जंगल में मोर नाचा किसने देखा = गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है
- चट मंगनी पट ब्याह = शुभ कार्य तुरंत संपन्न कर देना चाहिए
- ऊंट बिलाई लै गई तौ हाँजी-हाँजी कहना = शक्तिशाली की अनुचित बात का समर्थन करना
- चोर की दाढ़ी में तिनका = अपराधी व्यक्ति सदा सशंकित रहता है
- चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = कंजूस होना
- चोर चोर मौसेरे भाई = एक से स्वभाव वाले व्यक्ति
- जल में रहकर मगर से बैर = स्वामी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए
- जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ करे : जब किसी के द्वारा पाला हुआ
- जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीरपराई = भुक्तभोगी ही दूसरों का दुःख जान पाता है
- जिसके पास नहीं पैसा, वह भलामानस कैसा : जिसके पास धन होता
- थोथा चना बाजे घना = ओछा आदमी अपने महत्व का अधिक प्रदर्शन करता है
- छाती पर मूंग दलना = कोई ऐसा काम होना जिससे आपको और दूसरों को कष्ट पहुंचे
- दाल भात में मूसलचंद = व्यर्थ में दखल देना
- धोबी का कुत्ता घर का न घाट का = कहीं का न रहना
- नेकी और पूछ पूछ = बिना कहे ही भलाई करना
- नीम हकीम खतरा ए जान = थोडा ज्ञान खतरनाक होता है
- दूध का दूध पानी का पानी = ठीक ठीक न्याय करना
- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद = गुणहीन गुण को नहीं पहचानता
- पर उपदेश कुशल बहुतेरे = दूसरों को उपदेश देना सरल है
- जी कहो जी कहलाओ : यदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग
- जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा है : कम बोलने और कम
- नाम बड़े और दर्शन छोटे = प्रसिद्धि केअनुरूप गुण न होना
- भागते भूत की लंगोटी सही = जो मिल जाए वही काफी है
- मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती गले पड़ना
- सर मुंडाते ही ओले पड़ना = कार्य प्रारंभ होते ही विघ्न आना
- मन चंगा तो कठौती में गंगा = शुद्ध मन से भगवान प्राप्त होते हैं
- आँख का अँधा, नाम नैनसुख = नाम के विपरीत गुण होना
- ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया = संसार में कहीं सुख है तो कहीं दुःख है
- उतावला सो बावला = मूर्ख व्यक्ति जल्दबाजी में काम करते हैं
- ऊसर बरसे तृन नहिं जाए = मूर्ख पर उपदेश का प्रभाव नहीं पड़ता
- ओछे की प्रीति बालू की भीति = ओछे व्यक्ति से मित्रता टिकती नहीं है
- हाथ कंगन को आरसी क्या = प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत है
- को उन्तप होब ध्यहिंका हानी = परिवर्तनका प्रभाव न पड़ना
- खाल उठाए सिंह की स्यार सिंह नहिं होय= बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते
- गागर में सागर भरना = कम शब्दों में अधिक बात करना
- घर में नहीं दाने , अम्मा चली भुनाने = सामर्थ्य से बाहर कार्य करना
- चौबे गए छब्बे बनने दुबे बनकर आ गए = लाभ के बदले हानि
- चन्दन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग = सज्जन पर कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता
- जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ = दुष्टों कीप्रवृति एक जैसी होना
- डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई = थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा
- मेंढकी को जुकाम = अपनी औकात से ज्यादानखरे
- शौक़ीन बुढिया चटाई का लहंगा = विचित्रशौक
- सूरदास खलकारी का या चिदै न दूजो रंग = दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता
- जंगल में मोर नाचा किसने देखा = गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है
- चट मंगनी पट ब्याह = शुभ कार्य तुरंत संपन्न कर देना चाहिए
- ऊंट बिलाई लै गई तौ हाँजी-हाँजी कहना = शक्तिशाली की अनुचित बात का समर्थन करना
- तीन लोक से मथुरा न्यारी = सबसे अलग रहना
it is useful
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