पुस्तक की आत्मकथा पर निबंध: मैं एक पुस्तक हूँ - स्याही और कागज़ से बनी एक साधारण सी पुस्तक। पर भीतर अनगिनत अनुभवों, भावनाओं और विचारों का संसार समेटे
पुस्तक की आत्मकथा पर निबंध / Pustak ki Atmakatha par Nibandh in Hindi
पुस्तक की आत्मकथा पर निबंध: मैं एक पुस्तक हूँ - स्याही और कागज़ से बनी एक साधारण सी पुस्तक। पर भीतर अनगिनत अनुभवों, भावनाओं और विचारों का संसार समेटे हुए। आज मैं आपको अपनी पूरी कहानी सुनाना चाहती हूँ — जन्म से लेकर अब तक की।
मेरा जन्म एक विचार से हुआ। जब किसी लेखक की कल्पना ने शब्दों के रूप में आकार लिया तो मेरा जन्म हुआ। यह मेरी बाल्यावस्था थी। जैसे-जैसे वह लेखक सोचता गया और नए शब्दों को जोड़ता गया, मेरा आकार बढ़ने लगा। अंततः जब उसकी लेखनी ने विश्राम लिया, तब मैं एक हस्तलिखित पांडुलिपि के रूप में अस्तित्व में आयी।
फिर एक दिन मुझे, एक प्रकाशक के पास छपने के लिए भेजा गया। मेरे पन्ने छपने लगे, मुझे जिल्द पहनाई गई, और पहली बार मैं एक सुंदर पुस्तक के रूप में संसार के सामने आई। मेरी चमकीली जिल्द पर सुनहरी स्याही से मेरा नाम लिखा गया — “आपकी जीत।” समय के साथ ये नाम मेरी पहचान बन गया।
प्रिंटिंग प्रेस से मुझे बिकने के लिए बुक स्टाल पर भेजा गया, जहाँ अन्य किताबों के साथ मुझे रख दिया गया। एक दिन बुक स्टाल पर एक युवक आया — कॉलेज का छात्र — जिसकी आँखें कुछ ख़ास तलाश रहीं थीं। उसने मुझे उठाया, पलटा, पढ़ा और मोल-भाव किए बिना खरीद लिया। शायद उसे भी मेरी ज़रूरत उतनी ही थी, जितनी मुझे उसकी। इस तरह मेरा नया सफर शुरू हुआ।
जब भी वह निराश होता तो मुझे खोलकर पढ़ने लगता। वह मुझे साथ लेकर लाइब्रेरी जाता, पार्क में बैठकर पढ़ता तो कभी पढ़ते पढ़ते नींद में सो जाता। मैंने उसकी सोच, आत्मविश्वास और दृष्टिकोण को बदलने में मदद की। मैं जानती थी, कि मेरे शब्दों ने उसके भीतर कुछ कर दिखाने का हौसला भर दिया था। वह असफलताओं से टूटने के बजाय हर बार नए उत्साह से खड़ा हुआ। जब उसे नौकरी मिली, तो उसने मुझे अपनी किताबों की अलमारी में सजाकर रख दिया।
वर्षों तक मैं उसकी अलमारी की सबसे ऊपरी शेल्फ में धूल खाती रही। अब मैं पुरानी हो चुकी हूँ। मेरी जिल्द फटने लगी है और कुछ पन्ने हल्के पीले पड़ गए हैं। पर मैं जानती हूँ, कि मेरे भीतर जो लिखा है, वह आज भी उतना ही ताज़ा है जितना मेरे जन्म के दिन था। इसलिए मैं प्रतीक्षा कर रही हूँ — किसी नए पाठक की, जो मेरे पन्नों को फिर से जीवन देगा।
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