मलेरिया और उसकी रोकथाम पर निबंध: मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी मुख्य रूप से मच्छरों के काटने से
मलेरिया और उसकी रोकथाम पर निबंध (Malaria aur Uski Roktham par Nibandh)
मलेरिया और उसकी रोकथाम पर निबंध: मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी मुख्य रूप से मच्छरों के काटने से फैलती है, खासकर उन मच्छरों से जो 'एनाफिलीज़' नामक प्रजाति के होते हैं। मलेरिया भारत जैसे उष्ण कटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय देशों में अधिक फैलता है, जहां गंदगी, ठहरा हुआ पानी और मच्छरों की भरमार है।
मलेरिया तब होता है जब संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। मच्छर अपने लार के माध्यम से प्लास्मोडियम नामक परजीवी को शरीर में प्रवेश कराता है, जो खून के साथ मिलकर यकृत यानि लिवर, और फिर लाल रक्त कणों पर आक्रमण करता है। यह परजीवी धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है और गंभीर स्थिति में मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के 10 से 15 दिनों के भीतर दिखने लगते हैं। इनमें तेज़ बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और उल्टी आदि शामिल हैं। कभी-कभी बुखार एक निश्चित समय अंतराल पर आता है—एक दिन छोड़कर या हर तीसरे दिन—जो इस बीमारी की खास पहचान बन जाती है। यदि समय पर इलाज न हो, तो यह मस्तिष्क, किडनी और अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है।
मलेरिया का इलाज संभव है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इसकी रोकथाम। यह बीमारी रोकथाम पर ज़ोर देती है, क्योंकि एक बार बीमार हो जाने के बाद न केवल व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है, बल्कि इलाज की लागत भी गरीब परिवारों पर भारी पड़ती है। रोकथाम के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि मच्छरों को पनपने से रोका जाए। जहां-जहां पानी जमा होता है—जैसे नालियों, कूलरों, गमलों और टायरों में—उन्हें साफ रखना चाहिए या मिट्टी का तेल, पेट्रोल या एंटी लार्वा दवाएं डालनी चाहिए। मच्छरदानी का उपयोग करना, खिड़कियों पर जाली लगाना, और शरीर को ढककर रखना भी बचाव के सरल उपाय हैं।
सरकार और विभिन्न संस्थाएं मलेरिया को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाती हैं, परंतु असली बदलाव तब आएगा जब हर नागरिक व्यक्तिगत स्तर पर जिम्मेदारी लेगा। हमें अपने आसपास सफाई रखनी चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। विद्यालयों में, खासकर बारिश के मौसम में, छात्रों को इस विषय पर जानकारी देना आवश्यक है क्योंकि यही उम्र है जब आदतें बनती हैं।
मलेरिया का संबंध केवल स्वास्थ्य से नहीं है, बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था से भी जुड़ा है। जब कोई व्यक्ति मलेरिया से ग्रसित होता है, तो वह कई दिनों तक काम या पढ़ाई नहीं कर पाता, जिससे उसकी उत्पादकता और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। एक स्वस्थ समाज ही प्रगति कर सकता है, और मलेरिया जैसी बीमारियाँ इस राह में बड़ी बाधा हैं।
अंततः कहा जा सकता है कि मलेरिया एक गंभीर परंतु रोकी जा सकने वाली बीमारी है। यदि हम समय रहते सतर्क हो जाएँ, अपने घर और मुहल्ले को साफ रखें, और मच्छरों के खिलाफ छोटे-छोटे कदम उठाएँ, तो इस बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है। यह केवल डॉक्टरों या सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी साझा ज़िम्मेदारी है। जब हर हाथ मलेरिया के खिलाफ उठेगा, तभी एक स्वस्थ और खुशहाल भारत का सपना साकार होगा।
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