भारत का राष्ट्रीय फूल कमल पर निबंध: कमल, भारत का राष्ट्रीय पुष्प, एक जलज फूल है जो तालाबों, झीलों और दलदली क्षेत्रों में खिलता है।
भारत का राष्ट्रीय फूल कमल पर निबंध (Bharat ka Rashtriya Pushp Kamal par Nibandh)
भारत का राष्ट्रीय फूल कमल पर निबंध: प्रकृति ने हमें अनगिनत सुंदर पुष्पों का उपहार दिया है, लेकिन उनमें से कुछ ही फूल ऐसे होते हैं जो किसी देश की संस्कृति का प्रतीक बन जाते हैं। इन्हीं प्रतीकों में से एक है कमल का फूल, जिसे 26 जनवरी 1950 को भारत का राष्ट्रीय पुष्प घोषित किया गया। कमल का फूल न केवल अपनी अनुपम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म, साहित्य और कला में भी गहराई से रचा-बसा है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कमल का फूल एकता और क्रांति का प्रतीक बना और आज भी यह भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है।
कमल की विशेषताएँ और प्राकृतिक सौंदर्य
कमल का जीवन चक्र भी अद्भुत है। सुबह सूर्योदय के साथ यह खिलता है और रात में बंद हो जाता है, जो जीवन में उतार-चढ़ाव और नवीकरण का प्रतीक है। इसके बीज हजारों साल तक जीवित रह सकते हैं, जो दीर्घायु और अमरता का संदेश देते हैं। भारत में कमल का उपयोग न केवल सजावट के लिए होता है, बल्कि इसके बीज (मखाना) और जड़ें खाद्य पदार्थ के रूप में भी लोकप्रिय हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
भारतीय साहित्य और कला में भी कमल का विशेष स्थान है। प्राचीन ग्रंथों, जैसे वेदों, उपनिषदों, और महाकाव्यों में भी कमल का अत्यंत गौरवशाली वर्णन मिलता है। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं —
"ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा॥"
अर्थात, जो मनुष्य अपने समस्त कर्मों को ईश्वर को अर्पित कर, आसक्ति का त्याग करके कार्य करता है, वह पाप से उसी प्रकार अछूता रहता है, जैसे जल से कमलपत्र अछूता रहता है। कवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में कमल के सौंदर्य को बार-बार उकेरा है।
निष्कर्ष: कमल केवल एक सुंदर फूल नहीं है, वह जीवन जीने की एक कला सिखाता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन चाहे कितनी भी विषम परिस्थितियों में बीते, अपने गुणों, अपने आदर्शों को हमें नहीं छोड़ना चाहिए। जिस तरह कमल की जड़ें कीचड़ में होती हैं लेकिन फूल आकाश की ओर मुख किए रहता है, उसी तरह मनुष्य को भी संसार के दुखों में फंसे बिना सत्य, प्रेम और करुणा की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
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