पोर्नोग्राफी पर निबंध: पोर्नोग्राफी, यानी अश्लील सामग्री, आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गई है। इंटरनेट और मोबाइल फोन की वजह से यह हर किसी के लिए आसा
पोर्नोग्राफी / अश्लील चलचित्र पर निबंध - Pornography Essay in Hindi
पोर्नोग्राफी पर निबंध: पोर्नोग्राफी, यानी अश्लील सामग्री, आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गई है। इंटरनेट और मोबाइल फोन की वजह से यह हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध हो गई है। हालांकि कुछ लोग इसे मनोरंजन का साधन मानते हैं, लेकिन इसके कई गंभीर और नकारात्मक प्रभाव होते हैं, जो समाज और व्यक्ति दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के अनुसार, पोर्नोग्राफी को आमतौर पर ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया जाता है जो यौन क्रियाओं और नग्नता को इस तरह से प्रस्तुत करती है जो मुख्य रूप से यौन उत्तेजना पैदा करने के उद्देश्य से होती है।
पोर्नोग्राफी का सबसे ज्यादा असर बच्चों और युवाओं पर पड़ता है। जब किशोर और युवा अश्लील सामग्री देखते हैं, तो उनके मन में यौन संबंधों और मानव शरीर को लेकर गलत विचार और धारणाएं पैदा होती हैं। इस प्रकार की अश्लील सामग्री बच्चों की पढ़ाई, समग्र विकास और रिश्तों पर बुरा असर डालती है। पोर्नोग्राफी में दिखाए गए अवास्तविक और गलत चित्रण समाज में लैंगिक असमानता, यौन शोषण, और महिलाओं और बच्चों के प्रति हिंसा को बढ़ावा देते है।
समाज पर पोर्नोग्राफी का प्रभाव (Impact of Pornography on Society)
पोर्नोग्राफी, जो यौन सामग्री को प्रस्तुत करती है, आज के डिजिटल युग में एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गई है। इसका प्रभाव समाज के हर वर्ग पर पड़ता है।
- युवाओं पर प्रभाव: पोर्नोग्राफी का सबसे नकारात्मक प्रभाव युवाओं पर पड़ता है। इंटरनेट की आसान पहुंच के कारण किशोर और युवा इस सामग्री का शिकार हो जाते हैं। इससे उनकी मानसिकता और यौन व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह यौन संबंधों के प्रति उनकी समझ को विकृत करता है और उनके चरित्र को पतित कर देता है।
- परिवारिक जीवन पर प्रभाव: पोर्नोग्राफी कई बार वैवाहिक जीवन में दरार का कारण बनती है। यह पति-पत्नी के बीच विश्वास की कमी, असंतोष और अलगाव को जन्म दे सकती है। जो लोग इस सामग्री का अत्यधिक उपभोग करते हैं, वे वास्तविक संबंधों में रुचि खोने लगते हैं परिणामस्वरुप रिश्तों में दरार आने लगती है।
- लैंगिक असमानता को बढ़ावा: पोर्नोग्राफी में महिलाओं को अक्सर वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे समाज में लैंगिक असमानता और महिलाओं के प्रति हिंसा को बढ़ावा मिलता है। पोर्नोग्राफी महिलाओं के प्रति गलत धारणाओं को जन्म देती है।
- अपराध दर में वृद्धि: पोर्नोग्राफी के अत्यधिक प्रसार से यौन अपराधों की घटनाएं बढ़ सकती हैं। यह मानसिक विकारों को बढ़ावा देता है और कई बार लोग पोर्नोग्राफी से प्रेरित होकर यौन हिंसा और दुर्व्यवहार जैसे अपराध कर बैठते हैं।
- बच्चों पर प्रभाव: पोर्नोग्राफी का बच्चों पर प्रभाव अत्यंत हानिकारक होता है। यह उनकी मासूमियत को खत्म कर सकता है और उनके मानसिक विकास में बाधा डालता है। बाल यौन शोषण सामग्री के रूप में पोर्नोग्राफी एक घृणित अपराध है, जो समाज के लिए शर्मनाक है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: पोर्नोग्राफी का अत्यधिक उपभोग मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह अवसाद, चिंता, आत्म-सम्मान की कमी और यौन विकारों को जन्म देती है और समाज के नैतिक मूल्यों को कमजोर करती है।
भारत में पोर्नोग्राफी और कानून (Law Against Pornography in India)
भारत में पोर्नोग्राफी से जुड़े कानून इसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
आईटी एक्ट, 2000:
इस कानून की धारा 67 और 67A अश्लील सामग्री को इंटरनेट पर डालने या शेयर करने को अपराध मानती है। ऐसा करने वाले को जेल और जुर्माना हो सकता है।बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (POCSO):
यह कानून बच्चों को पोर्नोग्राफी और यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके अंतर्गत बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री बनाना, शेयर करना या रखना अपराध माना गया है।भारतीय दंड संहिता:
IPC की धारा 292 और 293 के तहत अश्लील सामग्री को बेचना, किराए पर देना, वितरित करना, प्रदर्शित करना, या किसी भी तरह से प्रचलन में लाना दंडनीय अपराध माना गया है।
निष्कर्ष
पोर्नोग्राफी एक गंभीर समस्या है, जो समाज और व्यक्ति दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसे रोकने के लिए शिक्षा, कानून और जागरूकता की जरूरत है। अगर हम सभी मिलकर अपने नैतिक मूल्यों पर विचार करें, तो एक स्वस्थ और चरित्रवान समाज का निर्माण कर सकते हैं। इससे न केवल हमारी आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहेगी, बल्कि समाज भी मजबूत और खुशहाल बनेगा।
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