मकर संक्रांति पर निबंध 500 शब्दों में: मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इसे हिंदू धर्म
मकर संक्रांति पर निबंध 500 शब्दों में (Makar Sankranti Essay in Hindi 500 words)
मकर संक्रांति पर निबंध: मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। मकर संक्रांति का सीधा संबंध पृथ्वी की खगोलीय स्थिति और सूर्य के राशि परिवर्तन से है। इस दिन सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, और दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर गति करता है। यह समय सर्दियों के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी देता है। यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह नई फसल के आगमन का समय होता है। किसान अपनी मेहनत का फल पाते हैं और इसे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों और तरीकों से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें सूर्य की पूजा की जाती है। पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। यहाँ ग आग जलाकर तिल, मूंग फली और गुड़ अर्पित करते हैं। असम में इसे भोगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी बनाकर, खाई और दान की जाती है। हालांकि नाम और परंपराएं भले ही भिन्न हों, लेकिन सभी त्यौहारों की मूलभूत भावना समान है।
मकर संक्रांति के दिन का आरंभ, पवित्र नदियों में स्नान से होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान को अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है। इसलिए स्नान के बाद, तिल, गुड़, खिचड़ी, वस्त्र और अन्य सामग्रियों का दान किया जाता है। तिल और गुड़ का सेवन और वितरण इस पर्व का अभिन्न हिस्सा है, जो समाज में मिठास और भाईचारे का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
मकर संक्रांति का त्योहार समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। पतंगबाजी इस पर्व का एक प्रमुख आकर्षण है। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ, पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में बहुत प्रचलित है। पतंगबाजी के दौरान हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्लास्टिक की डोर और कांच के मांझे का उपयोग न करें, क्योंकि ये पर्यावरण और पक्षियों के लिए हानिकारक होते हैं।
इस पर्व का धार्मिक महत्व भी अत्यधिक है। महाभारत के अनुसार, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही अपने प्राण त्यागे थे। इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का शुभ समय माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का संहार कर धरती पर शांति स्थापित की थी। इस के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। इसे पिता-पुत्र के संबंधों को सुधारने का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। मकर संक्रांति का महत्त्व केवल धार्मिक और खगोलीय नहीं है, बल्कि यह दिन हमें दान, परोपकार और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश भी देता है। इस त्योहार को मनाते समय हमें अपनी परंपराओं का पालन करना चाहिए और साथ ही पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए।
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