10 Lines on Bhikaji Cama in Hindi: भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नायिका थीं, जिन्होंने पहली बार भारतीय तिरंगा विदेश में फहराया। यह न
10 Lines on Bhikaji Cama in Hindi: भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नायिका थीं, जिन्होंने पहली बार भारतीय तिरंगा विदेश में फहराया। यह निबंध १० लाइन में भीकाजी कामा के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के बारे में बताता है।
10 Lines on Bhikaji Cama in Hindi - भीकाजी कामा पर १० लाइन का निबंध for Class 1, 2, 3, 4 & 5
- भीकाजी कामा का पूरा नाम मैडम भीकाजी रुस्तम कामा था।
- उनका जन्म 24 सितंबर 1861 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था।
- मैडम कमा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं।
- भीकाजी कामा ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा भारत की आजादी के लिए समर्पित किया।
- उन्होंने 22 अगस्त 1907 को जर्मनी में भारतीय ध्वज फहरायाथा ।
- भीकाजी कामा का ध्वज तिरंगे का प्रारंभिक रूप था, जिसमें हरे, पीले और लाल रंग के पट्टे थे।
- वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महिलाओं के अधिकारों की भी प्रमुख समर्थक थीं।
- भीकाजी कामा ने कई देशों में भारत की स्वतंत्रता की मांग को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया।
- उनका नारा था, "आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है।"
- वे यूरोप में रहकर अंग्रेजों के खिलाफ प्रचार करती रहीं और भारतीय राष्ट्रीयता का समर्थन किया।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रांति का प्रचार किया।
- उन्होंने पेरिस में भारतीय स्वतंत्रता के लिए विभिन्न संगठनों की स्थापना की।
- भीकाजी कामा ने ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों के खिलाफ यूरोप में भारत की आवाज उठाई।
- उनकी निडरता और साहस ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रतीक बना दिया।
- भीकाजी कामा का निधन 13 अगस्त 1936 को हुआ, लेकिन उनकी देशभक्ति अमर है।
- भीकाजी कामा को उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए हमेशा याद किया जाता है।
निष्कर्ष: भीकाजी कामा ने अपने साहस और बलिदान के माध्यम से यह सिद्ध किया कि महिलाएँ भी देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने न केवल जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान भी दिलाई। हमें उनके आदर्शों को अपनाना चाहिए और अपने देश की सेवा में सदैव तत्पर रहना चाहिए।
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