10 Lines on Rani Lakshmi Bai in Hindi: रानी लक्ष्मी बाई को झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी
रानी लक्ष्मीबाई, भारत की एक वीर योद्धा थीं। झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध, उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इस लेख में हम रानी लक्ष्मीबाई पर 10 वाक्य का संक्षिप्त निबंध जानेंगे for Class 1, 2, 3, 4 & 5
10 Lines on Rani Lakshmi Bai in Hindi (रानी लक्ष्मी बाई पर 10 वाक्य)
- रानी लक्ष्मी बाई को झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है।
- रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में हुआ था।
- रानी लक्ष्मी बाई एक कुशल घुड़सवार और तलवारबाज थीं।
- रानी लक्ष्मी बाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
- झांसी के राजा गंगाधर राव से विवाह के बाद लक्ष्मी बाई झांसी की रानी बनीं।
- लक्ष्मी बाई ने अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को झांसी का उत्तराधिकारी बनाया था।
- रानी लक्ष्मी बाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- रानी लक्ष्मी बाई ने "मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी" का नारा दिया था।
- ग्वालियर के युद्ध 18 जून, 1858 में रानी लक्ष्मी बाई वीरगति को प्राप्त हुईं।
- रानी लक्ष्मी बाई ने अपने राज्य और लोगों की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।
- उनका जन्मदिन 19 नवंबर को भारत में रानी लक्ष्मीबाई जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- रानी लक्ष्मी बाई ने महिलाओं को भी युद्ध में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
- रानी लक्ष्मी बाई की वीरता की कहानियां आज भी बच्चों को प्रेरित करती हैं।
- रानी लक्ष्मीबाई की कहानी को कई फिल्मों और किताबों में दर्शाया गया है।
रानी लक्ष्मी बाई एक महान योद्धा थीं जिन्होंने अपने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी कहानी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था। रानी लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपंत तांबे था और उनकी माता का नाम भवानी देवी था। उन्होंने झांसी के राजा गंगाधर राव न्यूारे से विवाह किया और झांसी की रानी बनीं। रानी लक्ष्मी बाई की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने दामोदर राव को गोद लिया। परन्तु अंग्रेजों ने दत्तक पुत्र को राजा मानने से इनकार कर दिया, जिससे रानी लक्ष्मी बाई क्रोधित हो गईं।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सक्रिय रूप से भाग लिया। झांसी की रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ कई युद्ध जीते। वे घुड़सवारी, तलवारबाजी और शस्त्र चलाने में निपुण थीं। 18 जून, 1858 को ग्वालियर के युद्ध में अंग्रेजों से लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
रानी लक्ष्मीबाई एक सच्ची देशभक्त थीं और उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।रानी लक्ष्मी बाई की वीरता की कहानियां आज भी प्रेरित करती हैं। वे भारतीय महिलाओं के साहस और बलिदान का प्रतीक हैं।
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