यदि रात न होती तो हिंदी निबंध: कल्पना कीजिए, क्या होगा अगर रात कभी ना होती तो क्या होता? एक ऐसी दुनिया जहाँ सूरज कभी अस्त नहीं होता, जहाँ तारों की चमक
यदि रात न होती तो हिंदी निबंध - Yadi Raat Na Hoti To Nibandh in Hindi
यदि रात न होती तो हिंदी निबंध: कल्पना कीजिए, क्या होगा अगर रात कभी ना होती तो क्या होता? एक ऐसी दुनिया जहाँ सूरज कभी अस्त नहीं होता, जहाँ तारों की चमक कभी नजर नहीं आती, और जहाँ चाँद की शीतल रोशनी का अनुभव कभी नहीं होता. यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि अगर रात कभी ना होती तो क्या होता? सतही तौर पर यह प्रकाश का अबाध साम्राज्य भव्य प्रतीत होता है, परन्तु वास्तविकता में यह एक भ्रामक स्वप्न है, जहाँ जीवन का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाता.
अगर रात कभी ना होती, तो पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जाता. सूरज की निरंतर गर्मी से धरती का वातावरण एक विशाल भट्टी में तब्दील हो जाती. ध्रुवीय बर्फ की चादरें पिघल जाती, समुद्र का जलस्तर बढ़ जाता और तटीय इलाके जलमग्न हो जाते. लगातार गर्मी से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती, जिससे बादल नहीं बन पाती और वर्षा का चक्र बाधित हो जाता. सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती, नदियाँ और झीलें सूख जाती, और पृथ्वी एक निर्जलीय पिंड बनकर अंतरिक्ष में घूमने लगता.
प्रकृति के संतुलन का आधार दिन-रात का चक्र है. सूर्य का प्रकाश जीवनदायी है, वनस्पति को पनपने के लिए उर्जा प्रदान करता है, परन्तु निरंतर प्रकाश वरदान नहीं, अभिशाप बन जाता. पेड़-पौधे, सूर्य की निरंतर गर्मी से झुलस जाते. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया, जो धरती पर जीवन का आधार है, निष्क्रिय हो जाती. लगातार प्रकाश पौधों को मिटा देता और इसके साथ ही खाद्य श्रृंखला भी टूट जाती. पेड़-पौधे शाकाहारी जीवों का भोजन है, और शाकाहारी जीव मांसाहारी जीवों का भोजन है. वनस्पति के अभाव में, शाकाहारी भूख से तड़प कर मरने लगते. इसके फलस्वरूप मांसाहारी जीवों के लिए भी भोजन की कमी हो जाती, और वे भी विलुप्त होने के कगार पर पहुँच जाते. इस तरह सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता, जिससे पृथ्वी पर जीवन का विनाश हो जाता.
अगर रात कभी न होती, तो मानव जीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता. कृषि पूरी तरह से नष्ट हो जाती, क्योंकि फसलें लगातार धूप में जलकर राख हो जाती. पेयजल का संकट गहराता, क्योंकि नदियाँ और झीलें सूख जाती. तीव्र गर्मी और विकिरण से मनुष्य त्वचा रोगों और घातक बीमारियों की चपेट में आ जाते. रात की शीतलता और तारों का जगमगाता आकाश हमारे लिये सपना बनकर रह जाता.
रात का समय विश्राम, मनन और चिंतन का होता है. निरंतर दिन के उजाले में मानव शरीर थकावट महसूस करेगा, उसकी रचनात्मकता प्रभावित होगी और नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है. अगर रात कभी ना आए तो सपने हमारी आंखों को अलविदा कह देते. हमारी पलकें लगातार खुली रहतीं और दिमाग थक कर कोने में सिकुड़ जाता. रात के सपनों का जंगल ही हमें नई दुनिया दिखाता है, कभी डर का सामना करना सिखाता है, तो कभी भविष्य की कहानियां सुनाता है.
कल्पना कीजिए, एक ऐसा संसार जहाँ सूर्य अस्त नहीं होता. पक्षियों का मधुर कलरव सुनाई नहीं देता, तारों का जगमगाहट नजर नहीं आता. पेड़-पौधे मुरझाए हुए खड़े होते, और गर्मी से तपती धरती पर जीवन संघर्ष कर रहा होता. परन्तु जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. उसी तरह, प्रकाश के साथ रात भी ज़रूरी है. रात तारों को जगमगाने का मंच देती है, चाँद को अपना शीतल प्रकाश बिखेरने का मौका देती है. पेड़-पौधों को नया जीवन देने के लिए रात ज़रूरी है, और इंसानों को थकान मिटाने के लिए भी. तो आइए, हम रात के अंधेरे का सम्मान करें, और रात्रि के टिमटिमाते तारों का आनंद लें.
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