काकी कहानी में श्यामू का चरित्र चित्रण: काकी कहानी का मुख्य पात्र श्यामू एक अबोध बालक है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है। श्यामू मृत्यु के सच से अन
काकी कहानी में श्यामू का चरित्र चित्रण - Kaki Kahani mein Shyamu Ka Charitra Chitran
काकी कहानी का मुख्य पात्र श्यामू एक अबोध बालक है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है। श्यामू मृत्यु के सच से अनजान है। माँ को भूमि पर नीचे से ऊपर तक कपड़ा ओढ़े सोते देखकर उसे आभास नहीं होता कि उनकी मृत्यु हो गयी है। श्यामू भावुक, मासूम और संवेदनशील है। अपनी उम्र और समझ से अनुसार वह अपनी माँ को राम के घर से वापस लाने की योजना बनाता है। आइए, श्यामू के चरित्र का विस्तृत विश्लेषण करें:
अगाध प्रेम: श्यामू अपनी काकी से बहुत प्रेम करता है। जब काकी को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है तो वह कहता है, "काकी सो रही हैं। उन्हें इस तरह उठाकर कहां लिये जा रहे हो? मैं न जाने दूं।" उनकी मृत्यु के बाद भी उसका शोक गहरा रहता है। वह लगातार रोता है और उनके विरह में डूबा रहता है। वह प्राय: अकेला बैठा-बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता।
मासूम: श्यामू की उम्र कम होने के कारण उसकी सोच भी मासूम है। जन्म-मृत्यु के कठोर सत्य को वह समझ नहीं पाता। आस-पास के बच्चों से सुनकर वह मान लेता है कि उसकी काकी अब ऊपर "राम के यहां" हैं। उसकी कल्पना में यह स्वर्ग कोई दूर देश नहीं, बल्कि आसमान के पार स्थित एक सुखद स्थान है। यही मासूम कल्पना उसे पतंग के माध्यम से काकी को वापस लाने की योजना बनाने के लिए प्रेरित करती है।
नासमझ: श्यामू की कम उम्र के कारण उसे जन्म-मृत्यु के चक्र का पूरा ज्ञान नहीं है। वह यह नहीं समझता कि मृत्यु के बाद वापसी नहीं होती। यही वजह है कि वह पतंग के माध्यम से काकी को वापस लाने की योजना बनाता है। उसे ये नहीं पता कि काकी को पतंग के सहारे नीचे नहीं लाया जा सकता है। उसकी यह अनभिज्ञता उसकी मासूमियत को और भी निखार देती है।
दृढ़ निश्चय: श्यामू की मासूमियत के साथ ही उसमें दृढ़ निश्चय का भाव भी कूट-कूट कर भरा है। एक बार जब वह पतंग को आसमान में भेजकर काकी को वापस लाने की योजना बना लेता है, तो वह उसे पूरा करने के लिए दृढ़ हो जाता है। पतंग और मोटी रस्सी खरीदने के लिए वह अपने पिता से चोरी करने तक का साहस कर लेता है। यह उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रमाण है।
ईमानदारी का द्वंद्व: श्यामू मूल रूप से एक ईमानदार बालक है।अपने पिता से चोरी करना उसे अच्छा नहीं लगता। लेकिन अपनी काकी को वापस लाने की तीव्र इच्छा उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर देती है। यह घटना उसके भीतर ईमानदारी और प्रेम के बीच चल रहे द्वंद्व को दर्शाती है।
अतः उपयुक्त बातों से यह पता चलता है कि श्यामू एक नादान बालक है जो की अपनी माँ से बहुत प्रेम करता है और उन्हें हर हाल में पाना चाहता है .उसकी भोलापन ,नादानी पाठकों के मन में गहरा प्रभाव डालती है।
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