कारगिल युद्ध के भयानक और गौरवशाली क्षणों को एक सेवानिवृत्त सैनिक की आत्मकथा के रूप में पढ़ें। मैं कैप्टन विक्रम सिंह, भारतीय सेना का एक सिपाही हूं।
एक सैनिक की आत्मकथा पर निबंध - Essay on Autobiography of A Soldier in Hindi
एक सैनिक की आत्मकथा पर निबंध: मैं कैप्टन विक्रम सिंह, भारतीय सेना का एक सिपाही हूं। आज, वर्षों बाद भी, कारगिल युद्ध के भयानक और गौरवशाली क्षण मेरी आंखों के सामने नाचते रहते हैं। 1999 में, पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पार कर लिया और कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। उस वक्त मैं जवान था, युवा और देशभक्ति से ओत-प्रोत। युद्ध की खबर सुनते ही मेरा खून खौल उठा। कुछ ही दिनों में हमारी टुकड़ी को श्रीनगर से कारगिल के लिए रवाना कर दिया गया।
कारगिल का दुर्गम रास्ता:
कारगिल की यात्रा कठिन और खतरनाक थी। संकरे, कच्चे रास्ते, ऑक्सीजन की कमी और लगातार दुश्मन की गोलीबारी - ये सब एक सैनिक की परीक्षा ले रहे थे। पहाड़ों की चोटियाँ बर्फ से ढकी थीं, लेकिन युद्ध की गर्मी हवा में तनती थी। दुश्मन ऊंचाई पर तैनात था, जिससे हमें और मुश्किल हो रही थी। रात के अंधेरे में हम दुश्मन के ठिकानों पर चढ़ाई करते थे। चट्टानों से चिपके रहते, हर कदम पर मौत का साया मंडराता रहता था।
युद्धभूमि का भयानक दृश्य:
युद्धभूमि का दृश्य भयानक था। चारों तरफ खून, बारूद की गंध और चीख-पुकार मची रहती थी। साथियों को मरते, घायल होते देखना दिल को चीर देता था। लेकिन डर को मन में जगह नहीं दे सकते थे। देश के लिए, अपने भाइयों के लिए लड़ना ही एकमात्र लक्ष्य था।
टाइगर हिल पर विजय:
एक दिन, हमारी टुकड़ी को टाइगर हिल पर कब्जा करने का आदेश मिला। यह कारगिल का सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना था। हमने रातों-रात रणनीति बनाई और दुश्मन पर अचानक हमला कर दिया। गोलीबारी का तांडव शुरू हो गया। गोलियां चारों तरफ से बरस रही थीं। हथगोले फूट रहे थे। धुआं और आग का गुबार युद्धक्षेत्र को ढक चुका था। घंटों चली लड़ाई के बाद, आखिरकार हम टाइगर हिल पर विजयी हुए। उस पल हमने गर्व से तिरंगा फहराया।एक सैनिक के रूप में मेरी आत्मकथा का यह सबसे गौरवशाली क्षण था।
युद्ध का अनुभव:
कारगिल युद्ध मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा है। इस युद्ध ने मुझे सिखाया कि असली वीरता क्या होती है। यह सिर्फ दुश्मन को मारने के बारे में नहीं है, बल्कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने की भावना है। मैंने अपने साथियों की वीरता और बलिदान को देखा है। उनके साहस ने मुझे प्रेरित किया और युद्ध लड़ने की शक्ति दी।
युद्ध की स्मृतियाँ:
युद्ध खत्म हुआ, लेकिन उसके निशान आज भी मेरे साथ हैं। शहीद हुए साथियों की यादें मुझे हमेशा अंदर से झकझोर देती हैं। कारगिल युद्ध शौर्य, बलिदान और राष्ट्रप्रेम की गाथा है। यह युद्ध हमें यह भी याद दिलाता है कि शांति अमूल्य है, जिसकी रक्षा के लिए हम सैनिक हमेशा तैयार रहेंगे। यह मेरी एक सैनिक की आत्मकथा का सार है।
निष्कर्ष:
कारगिल युद्ध एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे बदलकर रख दिया। मैंने वीरता, बलिदान और देशभक्ति का असली अर्थ समझा। आज भी, मैं उस युद्ध में शहीद हुए अपने साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
एक सैनिक की आत्मकथा सिर्फ युद्ध के मैदानों तक ही सीमित नहीं होती। यह उन कठिन प्रशिक्षणों, अनुशासन और देश सेवा के जज्बे को भी समेटे हुए है। सेवानिवृत्त होने के बाद भी, देशभक्ति की भावना मेरे खून में हमेशा बनी रहेगी।
शायद भविष्य में युद्ध न हों, यही मेरी इच्छा है। लेकिन अगर कभी जरूरत पड़े, तो मैं फिर से उसी जज्बे के साथ राष्ट्र की रक्षा के लिए खड़ा रहूंगा। यह मेरा वादा है, एक सैनिक का वादा।
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