राजमुकुट नाटक के आधार पर जगमल का चरित्र चित्रण कीजिये: यद्यपि "राजमुकुट" नाटक में जगमल एक नकारात्मक पात्र के रूप में सामने आता है, लेकिन उसका चरित्र न
राजमुकुट नाटक के आधार पर जगमल का चरित्र चित्रण कीजिये।
यद्यपि "राजमुकुट" नाटक में जगमल एक नकारात्मक पात्र के रूप में सामने आता है, लेकिन उसका चरित्र नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसकी अयोग्यता और विलासिता के कारण ही प्रताप के साहस, त्याग और राष्ट्रभक्ति जैसे गुण और भी अधिक निखर कर सामने आते हैं। जगमल के चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
विलासिता और अत्याचार की मूर्ति - जगमल:
"राजमुकुट" नाटक के शुरुआती दृश्यों में ही जगमल का चरित्र पाठकों के सामने एक विलासी और अत्याचारी शासक के रूप में खुलकर सामने आता है। राज-पाट की जिम्मेदारियों को दरकिनार कर वह सुख-विलास में डूबा रहता है। प्रजा की पीड़ा और राज्य की कमजोर होती स्थिति से उसे कोई लेना-देना नहीं है। नाटककार ने जगमल के चरित्र के माध्यम से उस शासक की दशा का चित्रण किया है, जिसने अपने कर्तव्य और मर्यादा को भुला दिया हो।
अक्षमता का दाग - मेवाड़ का दुर्भाग्य:
जगमल न केवल विलासी है बल्कि एक अत्यंत अयोग्य शासक भी है। राज्य के संचालन में वह कुशलता नहीं दिखा पाता। उसकी अक्षमता के चलते मेवाड़ राज्य कमजोर हो जाता है और बाहरी खतरों का सामना करने में असमर्थ हो बैठता है। नाटक में राष्ट्रनायक कृष्णजी चन्दावत द्वारा जगमल को खरी-खोटी सुनाना इसी तथ्य को रेखांकित करता है। वह स्वयं को "मेवाड़ का मुकुट" धारण करने के योग्य नहीं मानता और चन्दावत से एक योग्य उत्तराधिकारी चुनने का आग्रह करता है।
राज्य के हितों के प्रति उदासीनता:
जगमल का चरित्र इस बात को भी रेखांकित करता है कि एक शासक के लिए अपनी प्रजा और राज्य के हितों के प्रति सजग रहना कितना आवश्यक है। जगमल विदेशी शक्तियों के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज कर देता है, जिससे मेवाड़ राज्य कमजोर हो जाता है। उसकी उदासीनता के कारण ही राज्य की रक्षा का दायित्व राणा प्रताप जैसे वीर योद्धा के कंधों पर आ जाता है। जगमल का पतन और प्रताप का राज्याभिषेक यह दर्शाता है कि भोग-विलास में लिप्त रहने वाले शासक को सत्ता से हटाकर, राष्ट्र के हितैषी को ही राज्याभिषेक करना चाहिए।
निष्कर्ष: नाटककार ने जगमल के चरित्र को ऐसे गढ़ा है कि पाठक को लगता है मानो वह राज-पाट के सिंहासन पर बैठा हुआ नहीं, बल्कि भोग-विलास के दलदल में फंसा हुआ है। परन्तु वह कहानी को आगे बढ़ाने और प्रताप के चरित्र को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नाटककार ने जगमल के चरित्र के माध्यम से एक सक्षम और राष्ट्रभक्त शासक के गुणों को भी अप्रत्यक्ष रूप से उजागर किया है।
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