हिंसा और नग्नता से पूर्ण चलचित्रों का युवा वर्ग पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।इस विषय पर दो मित्रों का संवाद लिखिए। दीपक: "क्या राहुल! तुम भी दिनभर चलचित्र
हिंसा और नग्नता से पूर्ण चलचित्रों का युवा वर्ग पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।इस विषय पर दो मित्रों का संवाद लिखिए।
दीपक: "क्या राहुल! तुम भी दिनभर चलचित्र (फिल्म) में ही देखते रहते हो ?"
राहुल: "यार, ये नई फिल्म है। एक्शन बहुत अच्छा है।"
दीपक: "लेकिन राहुल, क्या तुम्हें नहीं लगता कि आजकल के चलचित्र/फिल्में बहुत ज्यादा हिंसक और नग्नता से भरी हुई हैं?"
राहुल: "हिंसक तो ज़रूर हैं, पर ये सब मनोरंजन का हिस्सा है। और नग्नता में क्या गलत है?"
दीपक: "गलत तो ये है कि ये फिल्में युवा वर्ग पर गलत प्रभाव डाल रही हैं। युवा दिमाग इन चीजों को सच मानने लगते हैं, और उनका प्रभाव उनके व्यवहार और सोच पर पड़ता है।"
राहुल: "मैं तो ऐसा नहीं मानता। फिल्में मनोरंजन का साधन हैं। हमें उनसे सीख लेनी चाहिए, न कि उन्हें कॉपी करना चाहिए।"
दीपक: "लेकिन राहुल, हर कोई इतना समझदार नहीं होता। कई युवा गलत चीजों को देखकर प्रभावित हो जाते हैं।"
राहुल: "यह तो सच है। लेकिन हमें फिल्मों को लेकर थोड़ा सचेत भी रहना चाहिए। हमें सिर्फ वही फिल्में नहीं देखनी चाहिए जो अच्छी कहानियों सुर सकारात्मक संदेशों से परिपूर्ण हो।"
दीपक: "बिल्कुल सही। और हमें यह भी समझना चाहिए कि फिल्में वास्तविक जीवन का प्रतिबिंब नहीं होती हैं।"
राहुल: "हाँ, दीपक। तू सही कह रहा है। हमें फिल्में देखते समय अपनी सोच का इस्तेमाल करना चाहिए।"
दीपक: "अच्छा हुआ कि तुम्हें बात समझ आई। चलो अब कुछ पढ़ाई कर ली जाए।"
राहुल: "हाँ, फिल्म के चक्कर में मैं पढ़ाई तो भूल ही गया था।"
(दोनों दोस्त हंसते हुए पढ़ाई करने लगते हैं।)
हिंसा और नग्नता से पूर्ण चलचित्रों का युवा वर्ग पर दुष्प्रभाव विषय पर दो मित्रों का संवाद लिखिए।
(राहुल टीवी पर कोई फिल्म देख रहा होता है। अमित उसके घर आता है।)
अमित: (हैरानी से) "अरे राहुल, तू फिर से फिल्म देख रहा है? आजकल तो तू बस फिल्मों में ही डूबा रहता है!"
राहुल: (बिना रुके) "अरे यार, ये फिल्म तो कमाल की है! तुम भी देख लो, मजा आ जाएगा।"
अमित: "मजा आना तो ठीक है, लेकिन रोज-रोज फिल्मों में इतना समय बिताना सही नहीं है। तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई पर भी इसका असर पड़ रहा है।"
राहुल: (बचाव करते हुए) "अरे, थोड़ी देर के लिए मनोरंजन तो जरूरी है। और ये फिल्में भी कुछ न कुछ सिखाती तो हैं।"
अमित: "सिखाती तो होंगी, पर हर फिल्म अच्छी नहीं होती। कुछ फिल्मों में तो हिंसा, अश्लीलता और गलत संदेश भरे होते हैं, जो युवाओं पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं।"
राहुल: "यार, तू तो बहुत ज्यादा ही सीरियस हो गया है। थोड़ी देर के लिए मस्ती करना भी गलत बात है क्या?"
अमित: "मस्ती करना गलत नहीं है, लेकिन हर चीज का संतुलन होना चाहिए। तू देख, आजकल ज्यादातर युवा सिर्फ फिल्मों के ही किरदारों और कहानियों में जीते हैं। उनकी सोच, उनके कपड़े, उनकी भाषा - सब कुछ फिल्मों से प्रभावित हो रहा है।"
राहुल: (सोचते हुए) "अरे, तू सही कह रहा है यार। कभी-कभी लगता है कि मैं भी फिल्मों के किरदारों की तरह बनने की कोशिश करता हूँ।"
अमित: "तो फिर थोड़ा सावधान रहना यार। फिल्में मनोरंजन के लिए हैं, पर इनका तुम्हारे जीवन पर गलत प्रभाव न पड़ने देना। अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना, अच्छे दोस्तों के साथ समय बिताना, और स्वस्थ रहना ज़्यादा ज़रूरी है।"
राहुल: "ठीक है यार, मैं समझ गया। अब मैं फिल्मों का कम इस्तेमाल करूंगा और अपनी ज़िंदगी पर ध्यान दूंगा।"
अमित: "वाह, यही तो मैं चाहता था! दोस्त तो इसलिए होते हैं ना कि एक-दूसरे को सही रास्ते पर ला सके।"
अमित: (हैरानी से) "अरे राहुल, तू फिर से फिल्म देख रहा है? आजकल तो तू बस फिल्मों में ही डूबा रहता है!"
राहुल: (बिना रुके) "अरे यार, ये फिल्म तो कमाल की है! तुम भी देख लो, मजा आ जाएगा।"
अमित: "मजा आना तो ठीक है, लेकिन रोज-रोज फिल्मों में इतना समय बिताना सही नहीं है। तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई पर भी इसका असर पड़ रहा है।"
राहुल: (बचाव करते हुए) "अरे, थोड़ी देर के लिए मनोरंजन तो जरूरी है। और ये फिल्में भी कुछ न कुछ सिखाती तो हैं।"
अमित: "सिखाती तो होंगी, पर हर फिल्म अच्छी नहीं होती। कुछ फिल्मों में तो हिंसा, अश्लीलता और गलत संदेश भरे होते हैं, जो युवाओं पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं।"
राहुल: "यार, तू तो बहुत ज्यादा ही सीरियस हो गया है। थोड़ी देर के लिए मस्ती करना भी गलत बात है क्या?"
अमित: "मस्ती करना गलत नहीं है, लेकिन हर चीज का संतुलन होना चाहिए। तू देख, आजकल ज्यादातर युवा सिर्फ फिल्मों के ही किरदारों और कहानियों में जीते हैं। उनकी सोच, उनके कपड़े, उनकी भाषा - सब कुछ फिल्मों से प्रभावित हो रहा है।"
राहुल: (सोचते हुए) "अरे, तू सही कह रहा है यार। कभी-कभी लगता है कि मैं भी फिल्मों के किरदारों की तरह बनने की कोशिश करता हूँ।"
अमित: "तो फिर थोड़ा सावधान रहना यार। फिल्में मनोरंजन के लिए हैं, पर इनका तुम्हारे जीवन पर गलत प्रभाव न पड़ने देना। अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना, अच्छे दोस्तों के साथ समय बिताना, और स्वस्थ रहना ज़्यादा ज़रूरी है।"
राहुल: "ठीक है यार, मैं समझ गया। अब मैं फिल्मों का कम इस्तेमाल करूंगा और अपनी ज़िंदगी पर ध्यान दूंगा।"
अमित: "वाह, यही तो मैं चाहता था! दोस्त तो इसलिए होते हैं ना कि एक-दूसरे को सही रास्ते पर ला सके।"
पाठकों के लिए: प्यारे बच्चों, हमें आशा है की उपर्युक्त संवाद लेखन आपको अवश्य पसंद आये होंगे। आप अभी अपनी राय हमने कमेन्ट बॉक्स में लिखकर बताइए।
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