अपने मित्र को बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए पत्र लिखिए
अपने मित्र को बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए पत्र लिखिए
12/65, वसंत विहार,
दिल्ली।
दिनांक : 06/04/20XX
प्रिय मित्र,
नमस्ते!
उम्मीद है तुम ठीक होगे। मैं तुम्हें यह पत्र बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा का वर्णन करने के लिए लिख रहा हूं।
जैसा कि तुम जानते हो, हाल ही में उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में भारी बाढ़ आई है। बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी आजीविका तबाह हो गई है।
बाढ़ पीड़ितों की स्थिति बहुत दयनीय है। वे भोजन, पानी और आश्रय की कमी से जूझ रहे हैं। कई लोग बीमार हो गए हैं और उन्हें चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
मैंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और मैंने जो देखा वह बहुत ही हृदयविदारक था। लोगों के घर तबाह हो गए थे और वे सड़कों पर रहने के लिए मजबूर थे। उनके चेहरे पर दुख और चिंता की भावना थी।
मैंने कुछ लोगों से बात की और उन्होंने मुझे अपनी कहानियाँ सुनाईं। उन्होंने बताया कि कैसे वे बाढ़ के दौरान अपने घरों से भागने के लिए मजबूर थे। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को खो दिया है। उन्होंने अपनी पूरी बचत खो दी है।
बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन काम कर रहे हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
मैं तुमसे अनुरोध करता हूं कि तुम भी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आओ। तुम दान कर सकते हो या स्वयंसेवक के रूप में काम कर सकते हो। तुम्हारी थोड़ी सी मदद भी उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।
तुम्हारा मित्र,
बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए
12/65, के ब्लॉक,
करोलबाग, दिल्ली।
दिनांक : 06/04/20XX
प्रिय राजेश,
नमस्ते!
उम्मीद है तुम ठीक होगे। तुम्हें यह पत्र लिखते हुए मुझे बहुत दुःख हो रहा है। तुम्हें पता ही होगा कि हाल ही में हमारे देश के कई इलाकों में भारी बाढ़ आई है। इस बाढ़ ने बहुत तबाही मचाई है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी ज़िंदगी तबाह हो गई है।
मैंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और वहां का मंज़र देखकर मेरा दिल रो गया। लोग सड़कों पर रह रहे हैं और उनके पास खाने-पीने के लिए भी कुछ नहीं है। उनके घर बह गए हैं और उनके सारे सामान नष्ट हो गए हैं। बाढ़ के पानी में कई जानवर भी बह गए हैं।
मैंने कुछ बाढ़ पीड़ितों से बात की और उनकी कहानियां सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बताया कि कैसे बाढ़ ने उनके जीवन को तबाह कर दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे वे भूख और बीमारी से जूझ रहे हैं।
यह बहुत ही दुखद स्थिति है और हमें इन लोगों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। हम सभी को मिलकर इन लोगों के लिए कुछ करना चाहिए। हम उन्हें भोजन, कपड़े और दवाएं दे सकते हैं। हम उनके घरों के पुनर्निर्माण में भी मदद कर सकते हैं।
मैं तुम्हें भी इस पुण्य कार्य में भाग लेने के लिए आग्रह करता हूं। तुम अपनी क्षमता के अनुसार इन लोगों की मदद कर सकते हो। तुम अपना योगदान किसी भी सामाजिक संगठन के माध्यम से दे सकते हो।
यह समय है कि हम सब मिलकर इन लोगों की मदद करें और उन्हें इस मुश्किल समय से बाहर निकालें।
तुम्हारा मित्र,
नाम: अ.ब.स.
COMMENTS