अपने बचपन की किसी रोचक घटना का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र लिखिए: प्रिय मित्र, याद है बचपन में हम कितने शरारती हुआ करते थे? वो फुटबॉल मैच याद है, जब
अपने बचपन की किसी रोचक घटना का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र लिखिए
101, रक्षा विहार,
मुंबई ,
महाराष्ट्र।
दिनांक : 06/04/20XX
प्रिय मित्र ,
बहुत दिनों बाद लिख रहा हूं, उम्मीद है तुम ठीक होगे और ज़िंदगी खुशियों से भरपूर चल रही होगी। बहुत याद आती है तुम्हारी।
याद है बचपन में हम कितने शरारती हुआ करते थे? वो फुटबॉल मैच याद है, जब गलती से गेंद उड़कर स्कूल की छत पर जा गिरी थी? हम दोनों की हालत खराब हो गई थी, सोचते थे अब तो पक्का स्कूल से निकाल देंगे। लेकिन अगले दिन स्कूल पहुंचने पर पता चला कि किसी को भी गेंद के बारे में कुछ नहीं पता! आज भी याद आते ही कितनी हंसी आती है उस पल को याद करके।
अब बताओ, तुम्हारी ज़िंदगी कैसी चल रही है? पढ़ाई कैसी है? घरवालों और बाकी दोस्तों का क्या हाल है? शहर में क्या नया हो रहा है? तुम्हारे बारे में सब कुछ जानने का मन करता है।
मुझे तो कई पुरानी यादें ताज़ा हो गईं तुम्हें लिखते हुए। क्या तुम्हें बचपन की कोई ऐसी ही रोचक घटना याद है, जो आज भी तुम्हें हंसा देती हो? जरूर लिखना अपने जवाब में। तुम्हारा पत्र मिलने का बेसब्री से इंतजार करूंगा।
हम जल्दी ही मिलने का भी प्लान बनाएं। बहुत कुछ बातें करनी हैं।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स.
आपके बचपन की किसी विशेष घटना को बताते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक : 08/05/20XX
प्रिय मित्र,
आशा है की तुम कुशल-मंगल ह्प्गे। जानता हूँ, बहुत व्यस्त हो, पर तुम्हारा हाल-चाल जानने का मन कर रहा था। कॉलेज कैसा चल रहा है? घरवालों और बाकी दोस्तों का क्या हाल है? आशा है की सभी अच्छे होंगे।
आज तुम्हें पत्र लिखते हुए बचपन की यादें ताज़ा हो गयीं। याद है जब हमने अपने पड़ोसी के बाग़ से आम चुराकर खाए थे? वह दिन मुझे आज भी याद है। गर्मी का मौसम था और हम दोनों बहुत ऊब रहे थे। अचानक तुम्हें ख्याल आया कि पड़ोसी के बाग़ में आम पक गए हैं।
दिल तो मानता नहीं था, पर तुम्हारे साथ तो हर शरारत मज़ेदार लगती थी। सोचते हुए भी हम बाग़ में घुस चुके थे। पेड़ों पर लगे सुनहरे, रसीले आम देखकर तो मुंह में पानी भर आया। दो-चार तोड़कर चटकारे लेकर खा ही लिए थे, कि अचानक पड़ोसी अंकल सामने आ खड़े हुए! उनकी डांट की आवाज़ आज भी कानों में गूंजती है। हम दोनों डर गए और भागने लगे। लेकिन अंकल ने हमें पकड़ लिया और खूब डांट लगाई। माफी मांगते हुए हमने वादा किया कि दोबारा कभी ऐसा नहीं करेंगे।
हालांकि डांट पड़ी थी, पर उस दिन के मज़े को आज भी याद करता हूं। हमें अपनी गलती का एहसास हुआ था, पर बचपन की वो शरारत, वो डर, वो भागना, सब मिलकर एक अमिट याद बनकर रह गई।
तुम्हारा जवाब मिलने का बेसब्री से इंतज़ार करूंगा। कुछ दिनों में मिलने का भी प्लान बनाते हैं, ढेर सारी बातें करनी हैं।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स.
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