समाचार पत्र पर निबंध - Essay on Newspaper in Hindi: समाचार-पत्र वर्तमान समय में आवश्यक और बड़ा उपयोगी साधन साबित हुआ है. समाचार-पत्र में सामाजिक, आर्थ
समाचार पत्र पर निबंध - Essay on Newspaper in Hindi
आज के प्रजातांत्रिक युग में समाचार-पत्र का महत्व सबसे अधिक है. वह जनता और समाज के बीच कड़ी है. जनता के प्रतिनिधि जनता के हितों के प्रति जागरूक हैं या नहीं, राष्ट्रीय आय का सदुपयोग हो रहा है या नहीं, देश या विश्व के किसी कौने में अशांति या संघर्ष है या नहीं, इन सब बातों की जानकारी समाचार-पत्रों से ही विस्तार से मिलती है. आज दुनिया में क्या हो रहा है, कल कहाँ क्या हुआ और उसका जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ? इसकी जानकारी तुरन्त हमें समाचार-पत्रों से मिल जाती है. समाचार- पत्र हर रोज ताजा समाचार देता है. पिछले रोज कहाँ बाढ़ आयी, कहाँ हमले हुए, कहाँ डाकू पकड़े गये ?, कहाँ रेल दुर्घटना हुई, किस प्रदेश में कौनसी सरकार गिरी और किसके सरकार बनने की सम्भावना है इत्यादि बातें हम अखबारों से जानते हैं.
समाचार-पत्र वर्तमान समय में आवश्यक और बड़ा उपयोगी साधन साबित हुआ है. समाचार-पत्र में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समाचारों के अलावा खेलकूद, सिनेमा, व्यवसाय आदि के समाचार भी छपते हैं. अखबारों के माध्यम से हम देश के बड़े-बड़े नेताओं, विचारकों, सुधारकों के विचार और सन्देश भी जानते हैं. समाचार-पत्रों में सम्पादक के नाम चिट्ठियाँ भी छापी जाती हैं. ये चिट्ठियाँ आम जनता की समस्याओं को प्रकाश में लाती हैं. सरकार ऐसी चिट्ठियों पर तुरन्त कार्यवाही करती है. समाचार-पत्रों में नौकरियों, व्यापार और शादी-विवाह के विज्ञापन भी छपते हैं. नौकरी के इच्छुक व्यक्तियों को आवश्यक जानकारी मिलती है. इसके अलावा अखबारों में वस्तुओं की दैनिक कीमतें भी छपती है. इससे खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों को लाभ होता है.
प्रत्येक प्रमुख दैनिक के संवाददाता देश-विदेश के प्रमुख नगरों, शहरों एवं अन्य स्थानों पर बहाल होते हैं. इन्हें बड़े जगहों से लेकर छोटे जगहों पर देखा जा सकता है. सामान्यतया किसी भी स्थान पर इनका प्रवेश वैध माना जाता है. ये समाचारों को टेलीफोन, तार, डाक आदि के सहारे सम्पादकों के पास भेजते हैं. सम्पादकीय विभाग उनमें उचित संशोधन कर उन्हें कम्पोजिटर के पास भेजता एवं मशीनमैन उन्हें छापते हैं. फिर रेल, जहाज, डाक आदि से उनका दूर- दूर तक वितरण होता है.
प्रत्येक वस्तु मूलतः सुन्दर होती है, बशर्ते हम उसका उपयोग विवेकपूर्ण करें. कुछ स्वार्थी तत्व यदा-कदा इन समाचार-पत्रों का उपयोग कर गलत प्रचारों द्वारा साम्प्रदायिकता, वैमनस्य एवं कूट के बीज आज जनता में बोते हैं. इनके कारण एक समुदाय दूसरे समुदाय का शत्रु हो जाता है और साम्प्रदायिकता का जहर देशभर में अराजकता एवं अशान्ति को निमंत्रण देता है. निरंकुश संवाददाता खबरों के उलट-फेर में सिद्धहस्त होते हैं.
यदि अखबारों से उपर्युक्त बुराइयों को निकाल दिया जाये और ये जनरुचि परिस्कार के महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न हो जाएँ तो देश एवं समाज को बहुत बड़ा लाभ हो सकता है.
समाचार-पत्र विद्यार्थियों के लिए बड़े उपयोगी हैं. हमें नियमित रूप से समाचार-पत्र पढ़कर उनसे कुछ नोट तैयार करना चाहिए. यह जीवन में बड़ा ही उपयोगी सिद्ध होता है.
समाचार पत्र पर निबंध (300 शब्द)
प्रस्तावना: व्यक्ति सामाजिक प्राणी है। वह समाज की महत्त्वपूर्ण इकाई है। समाज से पृथक् उसका कोई महत्त्व नहीं है। समाज के बिना वह रह भी नहीं सकता है। प्रत्येक व्यक्ति समाज की प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी चाहता है। इस काम को पूरा करते हैं- समाचार-पत्र। समाचार-पत्र हमें समाज की सभी गतिविधियों से अवगत कराते हैं। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति समाचार पत्र पढ़ना चाहता है। जब तक वह समाचार-पत्र नहीं पढ़ लेता, तब तक उसकी जिज्ञासा शांत नहीं होती। इसलिए समाज में समाचार-पत्रों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
समाचार-पत्रों का इतिहास: समाज में समाचारों का आदान-प्रदान प्राचीनकाल से होता आया है। पहले यह कार्य संदेशवाहक के द्वारा होता था। सर्वप्रथम समाचार पत्र का आरंभ सन् 1606 में जर्मनी में हुआ । भारत में इसका प्रारंभ मुगलकाल में हुआ। हिंदी में 'उदंत मार्तंड' नाम का पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ। धीरे-धीरे समाचार-पत्रों का चहुँमुखी विकास होता गया। हिंदी में नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, नवजीवन, स्वतंत्र भारत, राष्ट्रीय सहारा आदि अनेक छोटे-बड़े समाचार-पत्रों का प्रकाशन होता है।
लाभ-हानि: समाचार पत्रों से अनेक लाभ हैं। समाचार-पत्र हमें संसार भर में प्रतिदिन घटने वाली जानकारी देते हैं। इनमें सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को अपनी मनपसंद सामग्री पढ़ने को मिलती है। राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने में समाचार-पत्रों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। इनसे रोज़गार के समाचार प्राप्त होते हैं। मनोरंजन के लिए इनमें अच्छी सामग्री मिलती है। खेल-कूद, बाज़ार भाव, राजनीतिक, सामाजिक गतिविधियों की सूचना समाचार पत्रों से ही सामान्यजन तक पहुँचती है।
कभी-कभी कुछ समाचार पत्र अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ग़लत एवं समाज - विरोधी समाचार भी प्रकाशित कर देते हैं। इससे समाज पर उनका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे देश की एकता एवं राष्ट्रीयता को आघात पहुँचता है। कुछ समाचार पत्र अश्लील विज्ञापन प्रकाशित कर युवा पाठकों को गुमराह करते हैं। इन सभी कमियों को दूर करना आवश्यक है।
उपसंहार: स्वतंत्र भारत में सभी भाषाओं के समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। यहाँ पर अनेक जातियों एवं धर्मों के लोग रहते हैं। उनमें सद्भाव एवं बंधुभाव जाग्रत करना एवं उसको बनाये रखना समाचार-पत्रों का प्रथम कर्त्तव्य है। सरकार की सही एवं गलत नीतियों को जनता तक पहुँचाने का काम भी समाचार-पत्रों का ही है। समाचार- पत्रों को भ्रामक एवं जनविरोधी समाचारों और विज्ञापनों से सदैव दूर रहना चाहिए। समाचार-पत्रों का प्रमुख उदेश्य स्वच्छ समाज का निर्माण होना चाहिए।
समाचार पत्र पर निबंध रूपरेखा सहित (1000 शब्द)
[ रूपरेखा (1) प्रस्तावना, (2) समाचार-पत्रों का प्राचीन स्वरूप, (3) समाचार-पत्रों की आवश्यकता और उनके प्रकार, (4) समाचार पत्रों का विकास, (5) भारतीय समाचार-पत्रों के भेद, (6) समाचार-पत्रों की उपयोगिता, (7) समाचार-पत्रों के अनुचित प्रयोग से हानियाँ, (8) समाचार-पत्रों का उत्तरदायित्व और भविष्य, (9) उपसंहार । ]
प्रस्तावना: आदिकाल से ही मनुष्य जिज्ञासु प्राणी है। जिज्ञासा मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। इसका मुख्य कारण यह है कि अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव में सोचने-समझने की शक्ति अधिक है। उसकी ज्ञान की प्यास, कभी बुझती नहीं, जितना ज्ञान बढ़ता जाता है, उसकी प्यास भी बढ़ती जाती है। साहित्य ही उसके मस्तिष्क की प्यास को बुझा सकता है। देश-विदेश के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक परिवर्तनों को जानने का एक ही साधन है- समाचार पत्र। कोई भी राष्ट्र समाचार पत्रों के बिना जीवित नहीं रह सकता। वह मानव की जिज्ञासा को शांत करने का सबसे सरल साधन है।
समाचार-पत्रों का प्राचीन स्वरूप: प्राचीन समाज में भी समाचारों का आदान-प्रदान होता था। पहले यह कार्य संदेशवाहकों के माध्यम से किया जाता था। ये समाचार व्यक्तिगत संदेश के रूप में भेजे जाते थे। प्रथम समाचार पत्र का जन्म इटली में हुआ था। इससे प्रभावित होकर इंग्लैंड में भी समाचार-पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ हो गया। भारत में इसका जन्म मुगलकाल में हुआ। इसी काल में 'अख़बारात - ई- मुअल्ले' नामक समाचार-पत्र का उल्लेख मिलता है हिंदी में 'उदंत मार्तंड' नामक पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ। इसके बाद समाचार-पत्रों की संख्या एक के बाद एक बढ़ने लगी।
समाचार-पत्रों की आवश्यकता और उसके प्रकार: आवश्यकता आविष्कार की जननी है। समाचार-पत्रों का जन्म भी आवश्यकता का ही परिणाम है। मानव की जिज्ञासा- वृत्ति को शांत करने के लिए समाचार-पत्रों का आविष्कार हुआ। विज्ञान ने समस्त संसार को एक परिवार में बदल दिया है। इसके लिए आवश्यकता है कि प्रत्येक मनुष्य देश-विदेश के सभी समाचारों से परिचित रहे। समाचार पत्र इस आवश्यकता को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे अनेक व्यक्ति मिल जाएँगे, जो भोजन को छोड़ सकते हैं, किंतु समाचार-पत्र नहीं। अतः आज की परिस्थितियों में समाचार-पत्र को युग की आवश्यकता कहा जा सकता है।
आधुनिक समाचार-पत्र केवल घटनाओं और समाचारों का लेखा-जोखा मात्र ही नहीं रह गए हैं। अब वे अनेक रूपों में प्रकाशित हो रहे हैं। साहित्यिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद-संबंधी विविध प्रकार के समाचार-पत्र हर दिन प्रकाशित होते हैं। इन सभी समाचार-पत्रों का अपना-अपना महत्त्व है।
समाचार-पत्रों का विकास: समाचार पत्र सोलहवीं शताब्दी की देन हैं। मुद्रण कला के विकास के साथ-साथ समाचार-पत्रों का प्रयोग और प्रचार बढ़ा। सन् 1610 में जर्मनी, 1620 में इंग्लैंड, 1660 में अमरीका, 1703 में रूस 1737 में फ्रांस, और 1880 में भारत में समाचार-पत्रों का विकास हुआ। आज हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, नवजीवन, स्वतंत्र भारत, आज, जनसत्ता, अमर उजाला, दैनिक जागरण आदि समाचार पत्रों का प्रकाशन हिंदी समाचार-पत्रों के विकास की चरम परिणति की सूचना दे रहा है।
भारतीय समाचार-पत्रों के भेद: प्रकाशन की अवधि के आधार पर ही समाचार-पत्रों को विभिन्न नाम दिए गए हैं। जैसे- दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक। ये सभी समाचार पत्र विषय के अनुसार अनेक उपखंडों में बाँटे जा सकते हैं। जैसे- राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक, नैतिक, सांस्कृतिक, ज्योतिष और मनोरंजन प्रधान। किंतु आजकल एक ही समाचार-पत्र में प्रथक् पृथक स्तंभ देकर उपर्युक्त सभी सामग्री को एक साथ संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे समाचार-पत्रों की उपयोगिता में अब और अधिक वृद्धि हुई है।
समाचार-पत्रों की उपयोगिता: प्रत्येक व्यक्ति समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी अभिरुचि के अनुसार सामग्री प्राप्त करता है। संसार के प्रत्येक क्षेत्र में आज इतना अधिक परिवर्तन हो रहा है कि अब प्रत्येक व्यक्ति इस परिवर्तन की सूचना रखना चाहता है। ऐसी स्थिति में समाचार पत्रों की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है। देश में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का श्रेय समाचार-पत्रों को ही है। पिछड़े एवं परतंत्र राष्ट्र सदैव समृद्ध एवं स्वतंत्र राष्ट्रों से प्रेरणा लेकर अपनी उन्नति एवं स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। व्यापारिक क्षेत्र में भी समाचार-पत्रों में विज्ञापन दिए जाते हैं। बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए 'आवश्यकता' के कालम दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त विवाह-संबंधी, गुमशुदा की तलाश, चलचित्रों के विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं। विभिन्न परीक्षाओं के परीक्षाफल भी इनके माध्यम से जनसाधारण तक पहुँचाए जाते हैं। कुछ समाचार-पत्रों में मनोरंजन के साथ-साथ खेलकूदों का विस्तृत विवरण भी दिया जाता है। सुंदर और श्रेष्ठ साहित्य से हमारे बौद्धिक विकास का क्रम बना रहता है। समाचार-पत्रों के द्वारा हम विभिन्न प्रकार के सुझाव, सम्मति तथा आलोचनाओं से अपने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक हितों की रक्षा करते हैं। समाचार पत्र मनुष्यों के सर्वांगीण विकास का माध्यम हैं।
समाचार-पत्रों के अनुचित प्रयोग से हानियाँ: जब समाचार पत्र गलत व राष्ट्र-विरोधी खबरें छाप देते हैं तो इससे राष्ट्रीय व सांप्रदायिक एकता को आघात लगता है। कुछ समाचार-पत्र प्रचार माध्यम बनकर रह गए हैं, जो विभिन्न उत्पादों के प्रचार हेतु पाठकों को आकर्षित करने के लिए अश्लील चित्र तक छापते हैं। इससे विचार दूषित होते हैं और व्यक्ति की आत्मा दुर्बल होती है। वस्तुत: समाचार-पत्रों का मूल उद्देश्य मानव-कल्याण है। किंतु जब हम स्वार्थवश इस उद्देश्य को भूलकर अपने संकीर्ण उद्देश्यों को पूरा करना चाहते हैं तो उनसे लाभ के स्थान पर हानि ही होती है।
समाचार-पत्रों का उत्तरदायित्व और भविष्य: समाचार पत्र हमारे समाज के निर्माता हैं, किंतु उनसे उत्पन्न हानियाँ हमारे लिए चुनौती बन गई हैं, अतः समाचार-पत्रों के प्रकाशकों एवं संपादकों का दायित्व है कि वे अपने दायित्व का पूर्ण निर्वाह करें। अश्लील, भ्रष्ट तथा समाज विरोधी समाचारों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए तथा समाचार-पत्रों के लिए एक निश्चित आचार संहिता तैयार होनी चाहिए।
हमारे देश में समाचार-पत्रों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हमारा देश अभी विकास के बाल्यकाल से ही गुजर रहा है। अतः हमारे समाचार-पत्रों में जनहित की सामग्री का होना नितांत आवश्यक है। उनका मुख्य उद्देश्य मानव-जीवन में नवचेतना फूँकना होना चाहिए। स्वस्थ समाचार पत्र सरकार की नीतियों को सही रूप में जनता के सामने रखेंगे तो इसमें संदेह नहीं कि देश चरमोत्कर्ष पर पहुँच सकेगा।
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