प्रतियोगिता और संघर्ष में अंतर: प्रतियोगिता मुख्यतः एक अचेतन प्रक्रिया है जबकि संघर्ष मुख्यतः एक चेतन प्रक्रिया मानी जाती है। प्रतियोगिता अहिंसात्मक ह
प्रतियोगिता और संघर्ष में अंतर - Pratiyogita aur Sangharsh mein Antar
प्रतियोगिता और संघर्ष में अंतर: प्रतियोगिता मुख्यतः एक अचेतन प्रक्रिया है जबकि संघर्ष मुख्यतः एक चेतन प्रक्रिया मानी जाती है। प्रतियोगिता अहिंसात्मक होती है जबकि संघर्ष हिंसात्मक प्रकृति का होता है।
प्रतियोगिता और संघर्ष में अंतर
प्रतियोगिता | संघर्ष |
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प्रतियोगिता मुख्यतः एक अचेतन प्रक्रिया है यद्यपि यह कुछ परिस्थितियों में चेतन भी हो सकती है। साधारणतः प्रतियोगियों को एक-दूसरे की क्रियाओं या गतिविधियों का ज्ञान नहीं होता। वे अपने-अपने प्रयत्न में लगे रहते हैं। | संघर्ष मुख्यतः एक चेतन प्रक्रिया मानी जाती है जिसमे विरोधी पक्ष एक-दूसरे के बारे में पूर्ण जानकारी रखने का प्रयत्न करते हैं। |
प्रतियोगिता को मुख्य रूप से एक अवैयक्तिक रूप वाली प्रक्रिया माना जाता है। | संघर्ष की प्रक्रिया प्रायः वैयक्तिक होती है क्योंकि इसमे प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे के प्रति कठोर होते हैं। |
प्रतियोगिता निरंतर होने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है। | संघर्ष अनिरंतर रूप में होने वाली प्रक्रिया है अर्थात् यह रुक-रुक कर होने वाली प्रक्रिया है। |
प्रतियोगिता में उद्देश्य या स्वार्थ की प्राप्ति के लिए दूसरे प्रतियोगी को हानि पहुँचाने की भावना नहीं होती। | संघर्ष में अपना उद्देश्य या स्वार्थ प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति या समूह दूसरे व्यक्तियों या समूहों को हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं। |
प्रतियोगिता अहिंसात्मक होती है। | संघर्ष हिंसात्मक प्रकृति का होता है। |
प्रतियोगिता द्वारा परिश्रम को प्रोत्साहन मिलता है। | संघर्ष द्वारा परिश्रम को प्रोत्साहन नहीं मिलता है। |
प्रतियोगिता द्वारा समाज को अच्छी प्रतिभा का चयन करने में सहायता मिलती है। | संघर्ष के द्वारा दोनों पक्षों (व्यक्तियों या समूहों) को हानि पहुँचती है। |
उत्पादन की दृष्टि से प्रतियोगिता लाभकारी होती है क्योंकि इससे उत्पाद में वृद्धि होती है। | संघर्ष सदैव हानिकारक होता है और इससे उत्पादन का भी नाश होता है। |
प्रतियोगिता असहयोगी प्रक्रिया होने के बावजूद पृथकता की भावना पैदा नहीं करती। | संघर्ष अत्यधिक मात्रा में पृथक्करण पैदा करने वाली प्रक्रिया है। |
प्रतियोगिता सामान्य रूप में मान्य नियमों केअंतर्गत ही होती है। | संघर्ष में किसी भी प्रकार के नियमों का पालन नहीं किया जाता है। |
प्रतियोगिता में घृणा की भावना के साथ सम्मान की भावना भी होती है। | संघर्ष में लगे व्यक्ति या समूह एक-दूसरे के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी रखते हैं तथा एक-दूसरे को भली-भांति जानते हैं। |
इनमें प्रतियोगी उन सब लोगों को नहीं जानते जो प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हैं | संघर्ष में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं रहती। |
प्रतियोगिता में कई बार समझौते की गुंजाइश रहती है। | संघर्ष में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं रहती। |
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