मानव समाज और पशु समाज में अंतर: मानव के पास विकसित मस्तिष्क पाया जाता है जबकि पशुओं के पास अपेक्षाकृत बहुत कम विकसित मस्तिष्क पाया जाता है। मानव समाज
मानव समाज और पशु समाज में अंतर - Manav Samaj aur Pashu Samaj mein Antar
मानव समाज और पशु समाज में अंतर: मानव के पास विकसित मस्तिष्क पाया जाता है जबकि पशुओं के पास अपेक्षाकृत बहुत कम विकसित मस्तिष्क पाया जाता है। मानव समाज में परिवर्तनशील तथा जटिलता पायी जाती है जबकि पशु समाज में परिवर्तनशीलता तथा जटिलता का अभाव होता है।
मानव समाज और पशु समाज में अंतर
मानव समाज | पशु समाज |
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मानव के पास विकसित मस्तिष्क पाया जाता है। मानव मस्तिष्क की जटिलता इस तथ्य से स्पष्ट हो जाती है कि लगभग 10 अरब नाड़ियों के सिरे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित होते हैं। | पशुओं के पास अपेक्षाकृत बहुत कम विकसित मस्तिष्क पाया जाता है। उदाहरण के लिए मानव खोपड़ी का आयतन लगभग 1450 घन सेमी. होता है जबकि गोरिल्ले बंदर की खोपड़ी का आयतन लगभग 500 घन संमी. पाया गया है। |
मानव के पास अपने विचारों तथा भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भाषा एक सशक्त माध्यम है। भाषा के माध्यम से वह उच्च स्तरीय अंतः क्रियाएँ कर सकता है। भाषा के माध्यम से मनुष्य अपनी धरोहर को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करता है । | पशुओं में भाषा विकास नहीं पाया है। पशु समाज में उच्चस्तरीय अंतःक्रियाओं का अभाव पाया जाता है । पशु समाज पूर्णरूपेण मूल परावर्ती क्रियाओं पर आधारित होता है। |
केवल मनुष्य ही अपने दोनों पैरों पर सीधा खड़ा हो सकता है। उसके दोनों हाथ स्वतंत्र होते हैं तथा वह कला तकनीकी तथा संस्कृति का निर्माता है | पशुओं में सीधे खड़े होने की क्षमता नहीं पायी जाती है। यही कारण है कि वे मानव की तरह स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते हैं। |
मानव व्यवहार तथा अंतः क्रियाएँ संस्थागत नियमों तथा सामाजिक नियंत्रणों द्वारा नियंत्रित होते हैं। नियंत्रण के प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष साधन मानव व्यवहार को परिष्कृत करने में सहायक होते हैं। | पशुओं का व्यवहार मूल प्रवृत्तियों द्वारा प्रचलित होता है। उनमें सामाजिक नियंत्रण के नियम नहीं पाए जाते हैं । |
श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण मानव समाज की उत्तरोत्तर विकसित विशेषताएँ हैं । | पशु समाजों में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण नहीं पाया जाता है। हालाँकि चींटियों तथा मधुमक्खियों आदि में सीमित श्रम विभाजन पाया जाता है। |
मानव समाज में परिवर्तनशील तथा जटिलता पायी जाती है। यही कारण है कि हम विश्व में अनेक मानव संस्कृतियों का उद्भव तथा विकास पाते हैं। | पशु समाज में परिवर्तनशीलता तथा जटिलता नहीं पायी जाती है। पशुओं में संस्कृति का विकास नहीं होता है । वे अपनी मूल प्रवृत्ति पर ही निर्भर रहते हैं । |
मानव समाज भविष्य के बारे में चिंतन करता है तथा उसे नियोजित करता है । | पशु समाज भविष्य के बारे में चिंतन अथवा नियोजन नहीं करता । |
मानव समाज विवेक के आधार पर उचित तथा अनुचित में अंतर कर सकता है।8. | पशु समाज में विवेक तथा तर्क का अभाव पाया जाता है। |
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