यात्रा जापान की प्रश्न उत्तर - Yatra Japan ki Question Answer: प्रश्न 1. गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में क्या कहते हैं? उत्तर- गौतम बुद्ध को जापानी भाष
यात्रा जापान की प्रश्न उत्तर - Yatra Japan ki Question Answer
- यात्रा जापान की अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
- यात्रा जापान की लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
- पंक्तियों की सन्दर्भ सहित व्याख्या
यात्रा जापान की अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में क्या कहते हैं?
उत्तर- गौतम बुद्ध को जापानी भाषा में 'दायबुत्सु' कहते हैं।
प्रश्न 2. जापान का गुणधर्म क्या है ?
उत्तर- शालीनता जापान का गुणधर्म है। बिना अहसान जताए जापान के लोग मदद करने आगे बढ़ आते हैं।
प्रश्न 3. जापान के होटलों का रिवाज़ क्या है?
उत्तर- जापान के होटलों (रेस्त्राओं) में सबसे पहले गर्म पानी पीने को दिया जाता है। फिर मसाला चाय - दालचीनी, कालीमिर्च और चायपत्ती उबालकर बनाई गई गाढ़ी खुशबूदार चाय सर्व की जाती है।
प्रश्न 4. 'तोक्यो यूनीवर्सिटी ऑफ फॉरेन लैंग्वेज' के निदेशक कौन हैं ?
उत्तर- तोक्यो यूनीवर्सिटी ऑफ फॉरेन लैंग्वेज (टफ्स) के निदेशक प्रोफेसर फुजिई ताकेशी हैं।
प्रश्न 5. पुस्तकालय से बाहर निकलते समय अलार्म क्या बताता है ?
उत्तर- पुस्तकालय से बाहर निकलते समय अलार्म बता देता है कि आपके पास कोई छुपी पुस्तक तो नहीं है।
प्रश्न 6. लेखिका ने किसे अनुशासन प्रिय कहा है?
उत्तर- लेखिका ने जापान के रेल यात्रियों को अनुशासन प्रिय कहा है।
प्रश्न 7. 'शिन्कान्सेन' का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर- 'शिन्कान्सेन' का शाब्दिक अर्थ है- 'न्यू ट्रंक लाइन' इसे बुलेट ट्रेन भी कहते हैं। जापान के निवासी इस ट्रेन से यात्रा करना एक मौलिक अनुभव मानते हैं।
प्रश्न 8. 'पानी' के लिए जापानी भाषा में कौन सा शब्द है ?
उत्तर- पानी के लिए जापानी भाषा में शब्द है - मिजु ।
प्रश्न 9. 'स्लमडॉग मिलियनेर ' फिल्म किसकी किताब के आधार पर बनी है ?
उत्तर- भारत सरकार के जापान में तत्कालीन उच्चायुक्त विकास स्वरूप की पुस्तक पर ऑस्कर विजेता विश्वप्रसिद्ध सुपरहिट फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी है।
प्रश्न 10. लेखिका जापान किस हेतु गयी थीं ?
उत्तर- टोक्यो विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा अध्ययन विभाग में आयोजित सम्मेलन तथा ओसाका विश्वविद्यालय के 2010 ई. के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने हेतु लेखिका जापान गई थीं।
प्रश्न 11. 'नारा' का प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है?
उत्तर- नारा का प्रसिद्ध मंदिर तोदायजी है जिसकी स्थापना 743 ई. में हुई।
प्रश्न 12. नारा मंदिर में बुद्ध की प्रतिमा की ऊँचाई कितनी है ?
उत्तर- नारा मंदिर में बुद्ध की जो प्रतिमा स्थापित है उसकी ऊँचाई 155 फीट है और वह कांस्य की बनी हुई है जिसका वजन 500 टन है।
प्रश्न 13. एक जमाने में कौन-सा शहर जापान की राजधानी हुआ करता था ?
उत्तर- एक जमाने में ‘नारा' जापान की राजधानी हुआ करता था ।
यात्रा जापान की लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. जापान की बुलेट ट्रेन पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर- बुलेट ट्रेन या शिन्कान्सेन 16 डिब्बों की गाड़ी है। हर गाड़ी में 1300 यात्रियों के बैठने का प्रबन्ध है। 1300 फीट लंबी इस रेल में 40 मोटर जनरेटर लगे होते हैं। जब 170 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है, तो कहीं भी रुकने के लिए इसे कम से कम 5 कि.मी. की गुंजाइश चाहिए । 18600 कर्मियों की कार्यक्षमता का उपयोग इसके संचालन में प्रतिदिन लगता है।
प्रश्न 2. जापान के भारतीय रेस्त्रां 'कलकत्ता' का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- ‘यात्रा जापान की ' पाठ में यात्रा- वृत्तांत की विशेषतापूर्ण झाकियाँ प्रस्तुत हैं। जापान के रेस्तराँ 'कलकत्ता' के अन्दर की दीवार पर ताजमहल के सामने ऊँटों की तस्वीर लगी है, लिखा है- 'Incredible India. ' हिन्दी संगीत चल रहा है। डोसा - सांभर और भारतीय मसालों की सुगन्ध छाई हुई है। सबसे पहले लोगों को गर्म पानी पीने को दिया जाता है। इसके बाद मसाला चाय दी गई। दालचीनी, काली मिर्च और पत्ती वाली खुशबूदार चाय दी गई।
प्रश्न 3. जापान के रेलवे स्टेशन और रेल यात्रा के बारे में लेखिका क्या कहती हैं?
उत्तर- जापान में कदम-कदम पर रेलवे स्टेशन हैं। रेल जाल हममें से किसी की समझ में नहीं आ रहा था। सुरेश ऋतुपर्ण खूब सारे नोट डालकर हम सभी के लिए रेल टिकट मशीन से निकालते हैं। हर काम पलक झपकते करना होता है। रेल आती है तो धकापेल नहीं मचती है। यहाँ धक्का-मुक्की नहीं होती। रेल कुछ ही पल प्लेटफॉर्म पर अपने निर्धारित स्थान पर रुकती है। प्लेटफॉर्म पर बनी लाल लकीरों के पास ही हर डिब्बा आकर रुकता है। सैकड़ों यात्री अनुशासनबद्ध ढंग से रेल में चढ़ - उतर रहे हैं। रेल के अन्दर बैठने के स्थान कम और खड़े होने के ज्यादा हैं। फिर भी दोनों तरफ काफी जगह खाली सीटों के लिए छोड़ी गई हैं। जिन पर लिखा है - Courtesy seats । यहाँ एक पहिया कुर्सी, एक वृद्धपुरुष, एक बच्चे सहित महिला, एक रोगी के चित्र बने हैं जो यह बताते हैं कि ये सीटें इन लोगों के लिए हैं।
प्रश्न 4. टफ्स के पुस्तकालय के बारे में लिखिए।
उत्तर- टफ्स का पुस्तकालय चार मंजिली इमारत में है। हर मंजिल पर वाचनालय (रीडिंग रुम) है। पुस्तकालय में 6, 18,615 पुस्तकें हैं। ये पुस्तकें विद्युतचलित अलमारियों में रखी हैं, जो मात्र एक बटन दबाने से सामने उपलब्ध होती हैं। आप जी भर कर पढ़िए, पन्ने पलटिए, नोट्स बनाइए। वापस बटन दबाइए अलमारी अपने आप बन्द हो जाएगी। इस इंतजाम से जगह की बचत के साथ-साथ पुस्तकों की सुरक्षा भी होती है। अलमारियों के सामने खड़े होने के लिए पर्याप्त जगह निकल आती है। इंडिक भाषा विभाग में हिन्दी, अवधी, ब्रजभाषा, राजस्थानी, भोजपुरी, पहाड़ी, मैथिली की पुस्तकें बहुतायात में थी । दुर्लभतम पुस्तकों के लिए यहाँ, 'नवल किशोर संग्रह' था जिसमें 987 ग्रंथ उपलब्ध थे। जब आप पुस्तकालय से बाहर निकलते हैं तो एक अलार्म जता देता है कि आपके पास कोई छुपी पुस्तक नहीं है। जापानी लोगों को इस व्यवस्था पर कोई एतराज नहीं है। टफ्स में सर्वत्र सुन्दरता, स्वच्छता, शांति विद्यमान थी ।
प्रश्न 5. ओसाका के किले का चित्रण कीजिए ।
उत्तर- किले को जापानी में 'जो' कहते हैं। 'ओसाका जो ' 1585 ई. में सम्राट तोयोतोमी हिदेयोशी ने बनवाया था। विशाल परिसर में हरियाली और रंग-बिरंगे पुष्पों, पादपों से घिरा यह किला अनेक आख्यानों का पुंज है।
किले का प्रवेश द्वार एक काला फाटक है। काले पत्थर की प्राचीरें हैं। 'ओसाका जो कई बार बना और नष्ट हुआ। 1931 ई. में इसका पुनर्निर्माण हुआ। इसी परिसर में 'ओसाका जो' का संग्रहालय है। रात के समय नयनाभिराम लगता है यह किला और संग्रहालय । किले के चारों ओर गहरी खाई, जलाशय हैं।
प्रश्न 6. 'तोदायजी मंदिर' का वर्णन कीजिए।
उत्तर- जापान की प्राचीन राजधानी रहे शहर नारा में तोदायजी मंदिर है। इसकी स्थापना 743 ई. में हुई। मंदिर के अधिष्ठाता गौतम बुद्ध हैं। जिन्हें जापानी में दायबुत्सु कहा जाता है। विशाल परिसर में काली भूरी लकड़ी का महाकाय स्थापत्य देखकर विस्मय होता है। बड़े से आँगन के बीचों बीच एक गोलाकार वृत्त में आग जलती रहती है। यह दिव्य ज्योति है, ऐसी मान्यता है। श्रद्धालु यहाँ आकर ज्योति की आरती अपने माथे पर लगाते हैं। दानपात्र है, परन्तु दान देना अपनी इच्छा पर निर्भर है।
मंदिर के गर्भगृह में गौतम बुद्ध की 55 फुट ऊँची 500 टन वजनी कांस्य प्रतिमा है। आन्तरिक साज-सज्जा आग लगने से कई बार नष्ट हो चुकी है। किन्तु हर बार उसका पुनर्निर्माण कर दिया गया है। तोदायजी के बरामदे में भारद्वाज की मूर्ति है । बुद्ध की मुद्रा में बैठे इस देवता की यह महिमा बताई जाती है कि इसके जिस अंग का स्पर्श व्यक्ति करे उसके उसी अंग की पीड़ा समाप्त हो जाती है। लेखिका के घुटनों में दर्द रहता था। उसने कई बार घुटनों का स्पर्श किया पर दर्द ज्यों का त्यों रहा ।
प्रश्न 7. जापान के 'हिरन-वन' के बारे में लिखिए।
उत्तर- नारा में तोदायजी से जुड़ा एक हिरन - वन है। मंदिर से हिरन - वन का रास्ता रंग-बिरंगी पत्तियों से बिछा हुआ है। पथ लम्बा परन्तु खूबसूरत है। अजय गुप्ता और रवीन्द्र अपनी जैकेट की जेबें पत्तियों से भर लेते हैं । हिरन वन की बेंच पर बैठकर वे अपनी सम्पदा निकाल कर देखते हैं।
हिरन वन के हिरन भारतीय हिरनों से ज्यादा हष्ट-पुष्ट हैं। दूर से देखने पर तगड़े बछड़ों की तरह दिखते हैं। वन में जगह-जगह आटे के बिस्किटों का पैकेट मिलता है। सैलानी इन पैकेटों को खरीदकर हिरनों को खिलाते हैं। प्रो. ताकाहाशसान बिस्किट की जगह हिरनों को केले खिलाते हैं। आस-पास मंडराते हिरनों का हौसला इतना बुलंद है कि एक हिरन मेरे हाथ से अधखाया केला छीन कर खा जाता है।
प्रश्न 8. अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के बारे में लेखिका के क्या विचार हैं?
उत्तर- 28 नवम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन 2010 ओसाका में प्रारम्भ हुआ। एक साथ इतने जापानी विद्वानों को हिन्दी भाषा व लेखन की जानकारियों से जुड़ा देखना एक अप्रतिम अनुभव है। प्रोफेसर तोषियो तनाका, अकिकोसान के साथ मंच पर भारत के उच्चायुक्त विकास स्वरूप और भारतीय सांस्कृतिक सदस्य परिषद् के निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्त भी मंच पर आसीन थे। हिन्दी-उर्दू की सामर्थ्य एवं समृद्धि के प्रति इनकी आस्था और निष्ठा सराहनीय है। यहाँ हमें अवकाश प्राप्त प्रोफेसर तोमियो मिज़ोकामी भी मिले जो छोटे से कद के, कृशकाय थे। मिज़ोकामी बड़ी त्वरता से हिन्दी बोलते हैं। मिज़ोकामी ने 1951 से 1980 तक के हिन्दी फिल्मी गीतों का संकलन, अनुवाद किया है। लगभग 300 गीत पुस्तक में शामिल हैं। सभागार में डॉ. लक्ष्मीधर मालवीय जानबूझ कर पीछे बैठे हैं। उनके साथ सुंदर पत्नी अकिकोसान भी हैं। सलवार सूट में और माथे पर बिंदी। मंच से विकास स्वरूप ने बोलते हुए जब तमाम इलाहाबादी लोगों के नाम लिए तब मुझे लगा कि सारा इलाहाबाद यहाँ इकट्ठा है। उनकी पुस्तक पर विश्वप्रसिद्ध ऑस्कर विजेता फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेर' बनी पर उन्होंने इसका कोई शोर नहीं मचाया।
प्रश्न 9. जापान में हिन्दी के प्रभाव - प्रसार पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर- जापान में हिन्दी-उर्दू के प्रति पर्याप्त प्रेम है। छात्रों ने सत्र के अन्त में हिन्दी के प्रश्न पूछे। संचालन करने वाली महिला धारा-प्रवाह हिन्दी बोल रही थी। टफ्स में हिन्दी-उर्दू, अरबी, फारसी पढ़ाई जाती है तथा हिन्दी उर्दू में तो शोधकार्य भी करवाया जाता है।
टफ्स के पुस्तकालय में इंडिका भाषा विभाग में हिन्दी, ब्रजभाषा, अवधी, मैथिली, भोजपुरी, राजस्थानी तथा पहाड़ी की पुस्तकें उपलब्ध थीं तथा वहाँ सरस्वती, विशाल भारत, माधुरी के अंक उपलब्ध थे । यहीं फीजी में बसे प्रवासी रचनाकार सुब्रमनी का लिखा उपन्यास 'डउका पुरान' भी वहाँ मिला। जापान में हिन्दी फिल्मों के गाने बहुत पसन्द किये जाते हैं।
हरजेन्द्र चौधरी के द्वारा प्रकाशित कहानी संग्रह 'पता नहीं क्या होगा' का लोकार्पण हुआ। जोरदार करतल ध्वनि हुई। प्रो. ताकाहाश का अभिनंदन किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें पुस्तकें भेंट की जाती है और अंगवस्त्र । इस पार्टी में हिन्दी, उर्दू का अध्यापन करने वाले ऐसे जापानी विद्वान हैं जो दोनों भाषाएँ बोल रहे है। प्रो. यामाने यो ने जिस तपाक से आदाब अर्ज किया और उर्दू के शेर सुनाए, कुर्ता-पायजामा में वे बिल्कुल लखनवी नवाब लग रहे हैं। यास्मीन मेरा भ्रम तोड़ती है और कहती है कि ये खालिस जापानी है। यास्मीन सुल्ताना नकवी भी इलाहाबाद की हैं। महफिल में मोइन भी हैं जो हिन्दी उर्दू दोनों बोलते हैं । जापानी विद्वानों को हिन्दी, उर्दू दोनों भाषाओं की जानकारियों से जुड़ा देखकर सुखद आश्चर्य होता है।
निम्न पंक्तियों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिये
प्रश्न 1. “यहाँ टिकट खाँचे में अन्दर डालकर जल्दी अन्दर घुसो, उस पार जाकर अपनी टिकट उठा लो।"
सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्ति 'यात्रा जापान की' नामक यात्रावृत्तांत से ली गई है। इसकी लेखिका श्रीमती ममता कालिया हैं।
व्याख्या - प्रो. सुरेश ऋतुपर्ण ने मशीन में बहुत सारे नोट डालकर हम छहों की टिकट निकाली और बताया- यहाँ टिकट खाँचे में अन्दर डालकर जल्द अन्दर घुसो और उस पार जाकर अपनी टिकट उठा लो । हर काम पलक झपकते करना होता है। रेल आती है तो धकापेल नहीं मचती, कोई जापानी यात्री धक्का-मुक्की करता नहीं दिखता। रेल कुछ ही समय प्लेटफार्म पर अपने नियत स्थान पर ठहरती है। सैकड़ों यात्री अनुशासनबद्ध तरीके से चढ़ते-उतरते हैं।
प्रश्न 2. "यहाँ तो डेंटिस्ट मक्खी मारते होंगे।"
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति 'यात्रा जापान की' नामक यात्रावृत्तांत से ली गई है। इसकी लेखिका श्रीमती ममता कालिया हैं।
व्याख्या - टफ्स में कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व ममता जी और ऋचाजी बाथरूम गईं, छात्राओं की लम्बी कतार देखी। सभी ने अपने पर्स से टूथब्रश और टूथपेस्ट निकालकर हाथ में पकड़ रखा है। पता चला सभी लड़कियाँ खाना खाने के बाद हर बार अनिवार्य रूप से दाँत साफ करती हैं। तब ममता जी ने कहा- "इसका मतलब है यहाँ डेंटिस्ट मक्खी मारते हैं।" क्योंकि उनके पास किसी को जाने की जरूरत ही नहीं रहती होगी, जब किसी के दाँत खराब नहीं होंगे तो भला वह डेंटिस्ट के पास क्यों जाएगा ? तभी एक लड़की ने अपना गाल दबाकर कहा - फिर भी मेरा दाँत दुःखता है।
प्रश्न 3. "इनकी हर मंजिल पर इतनी जगह जान-बूझकर छोड़ी गयी है जो भूकम्प के धक्के सह सके।"
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति ‘यात्रा जापान की' नामक यात्रावृत्तांत से ली गई है। इसकी लेखिका श्रीमती ममता कालिया हैं।
व्याख्या - ममता जी ने जापान की गगनचुम्बी इमारतों को देखकर जिज्ञासा प्रकट की कि जब जापान में इतने तूफान और भूचाल आते हैं तो इतनी ऊँची गगनचुम्बी इमारतें क्यों बनायी गईं ? प्रोफेसर सुरेश ऋतुपर्ण ने बताया कि इनकी हर मंजिल पर इतनी जगह छोड़ी गई है जो भूकम्प के धक्के सह सकें ।
प्रश्न 4. "यहाँ प्रकृति की तूलिका में सात से अधिक रंग दिखाई दे रहे हैं ।"
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्ति ‘यात्रा जापान की' नामक यात्रावृत्तांत से ली गई है। इसकी लेखिका श्रीमती ममता कालिया हैं।
व्याख्या - तोक्यो से ' ओसाका' ये लोग रेल से गए। सड़क के दोनों ओर बड़ी-बड़ी इमारतें हैं । चमचमाती इमारतों के बाद रंग-बिरंगे पेड़ों की कतारें, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है मानों प्रकृति की तूलिका ने यहाँ सात से अधिक रंगों का इस्तेमाल इनके निर्माण में किया है अर्थात् अनेक रंगों की छटा उन वृक्षों में दिखाई दे रही थी ।
प्रश्न 5. "यह किला जापानी संघर्षधर्मिता और जिजीविषा का प्रतीक है।"
सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्ति - यात्रा जापान की' नामक यात्रावृत्तांत से ली गई है। इसकी लेखिका श्रीमती ममता कालिया हैं।
व्याख्या - ओसाका जो 1585 ई. में सम्राट तोयोतोमी हिदेयोशी द्वारा बनवाया गया किला है। इसके कई हिस्सों का कई बार पुनर्निर्माण हुआ। किले के चारों ओर गहरी खाई और जलाशय है। इसमें आग लगने की दुर्घटनाएँ होती रहीं है । और एक बार बिजली भी गिरी। 1931 ई. में इसका पुनर्निर्माण हुआ। इस प्रकार यह किला जापानी संघर्ष क्षमता और जिजीविषा का प्रतीक है।
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