भारत में शारीरिक शिक्षा का विकास का वर्णन कीजिये: स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ समय पश्चात ही कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में शारीरिक शिक्षा क
भारत में शारीरिक शिक्षा का विकास का वर्णन कीजिये
15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजों की पराधीनता से स्वतंत्र हुआ एक नये उत्साह तथा उल्लास के वातावरण का जन्म हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ समय पश्चात ही कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में शारीरिक शिक्षा की संस्थाएँ अथवा राजकीय शिक्षा के महाविद्यालयों की स्थापना हुई। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने सन् 1950 ई. में शारीरिक शिक्षा मनोरंजन के केन्द्रीय बोर्ड (Central advisory board of physical Education and Recreation ) तथा सन् 1954 ई. में अखिल भारत खेल सलाहकार समिति (All India Council of sports) की स्थापना की । इनका उद्देश्य शारीरिक शिक्षा के खेलों के विकास के लिये नई-नई योजनाओं का निर्माण करना तथा उन्हें विकसित करना है।
1. शारीरिक शिक्षा एवं मनोरंजन की केन्द्रीय परामर्श परिषद (Central advisory Board of physical Education and recreation)- इस समिति के ढाँचे में सभी राज्यों से एक-एक सदस्य सम्मिलित हैं। शारीरिक शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ (भारत सरकार द्वारा) अध्यक्ष एवं सचिव सभी का चुनाव इन्हीं से होता है। तीन वर्ष बाद चुनाव होते हैं। इनका लक्ष्य सरकार की शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन एवं युवा वर्ग के लिये कार्यक्रमों का सुझाव देना है।
परिषद का योगदान
- परिषद का प्रमुख योगदान शारीरिक शिक्षा के लिये मजबूत व ठोस सुझाव एवं उपाधि-पत्र, प्रमाण पत्र के लिये आदर्श पाठ्यक्रम सरकार के समक्ष रखना है।
- परिषद के सुझाव पर लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा संस्थान ग्वालियर को एक आदर्श शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया है ।
- 1966-67 ई. में परिषद द्वारा मान्य स्वस्थता कोर (National Fitness Corps) के कार्यक्रम को सम्पूर्ण भारत के विद्यालयों एवं शारीरिक शिक्षा संस्थानों में लागू किया है।
2. अखिल भारतीय खेल सलाहकार समिति - नवम्बर 1954 में अखिल भारतीय खेल सलाहकार समिति का गठन किया। जनरल के. एम. करिअप्पा को इस समिति का प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय संघों एवं भारत सरकार के बीच सामजस्य स्थापित करना । भारत तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के स्तर में विकास करना। खेलों की तकनीकी का वैज्ञानिक तरीकों से अनुसंधान करना। खेल सलाहकार समिति के सुझाव पर 1961 ई. में पटियाला में राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान की स्थापना हुई। इसे NSNIS के नाम से जाना जाता है।
3. कुंजरू समिति - सन् 1959 में भारत सरकार ने डॉ. हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। जिसका कार्य भारत सरकार को शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन एवं विद्यार्थी अनुशासन जैसे विषयों पर सुझाव देना था। भारत सरकार ने कुंजरू समिति के विचारों के आधार पर राष्ट्रीय कैडेट कोर को कॉलेजों में अनिवार्य कर दिया गया।
4. राष्ट्रीय अनुशासन योजना - कुंजरू समिति के सुझावों पर सन् 1963 में राष्ट्रीय अनुशसन योजना का ए. सी. सी. तथा शारीरिक शिक्षा में विलय कर दिया व इस संस्था का नाम परिवर्तित कर राष्ट्रीय स्वस्थता कोर (National Fitness corps ) कर दिया गया ।
5. राष्ट्रीय शारीरिक क्षमता और जाँच परियोजना - इसका प्रारम्भ शिक्षा मंत्रालय द्वारा सन् 1959-60 में किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय लोगों का शारीरिक योग्यता की ओर ध्यान आकर्षित करना था जिससे उनका जीवन सुखी व शरीर निरोगी हो सके। इस योजना के परिणाम स्वरूप लड़के-लड़कियों के लिये आयु स्तर के 'अनुसार अलग-अलग परिक्षण स्तर रख गये हैं।
6. राष्ट्रीय खेल संगठन एवं संघ - राष्ट्रीय खेल संघ में सभी राज्यों के सदस्य होते हैं। राज्य स्तर पर सभी प्रकार के खेल-कूदों एवं प्रतियोगिताओं का उत्तरदायित्व राज्य खेल संगठन का होता है। लेकिन राट्रीय स्तर के विभिन्न खेलों का उत्तरदायित्व खेलों के विभिन्न राष्ट्रीय संघों का होता है। भारत के मुख्य खेल राष्ट्र संघ हैं- भारतीय हॉकी फेडरेशन (1928 ई.) सर्व भारतीय फुटबॉल फैडरेशन (1937 ई.) एमेच्योर ऐथलेटिक फैडरेशन ऑफ इण्डिया (1944 ई.) इत्यादि । इसी प्रकार लगभग सभी मुख्य खेलों के राष्ट्र संघ हैं। कुछ संघ विभिन्न संस्थाओं का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। जैसे- सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (1919) पुनर्संगठन (1945 ई.) स्कूल गेम्स ऑफ फैडरेशन ऑफ इंडिया ( 1954 ई.) अन्तर्विश्वविद्यालय स्पोर्ट्स बोर्ड, रेलवे स्पोर्ट्स बोर्ड इत्यादि ।
7. शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन की राष्ट्रीय नीति - शारीरिक शिक्षा तथा खेलों एवं मनोरंजन को भारत में विकसित करने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा, मनोरंजन एवं खेल नीति की शीघ्र स्थापना कर इसे लागू किया जाना चाहिये । इस विषय में श्रीधर धाने जी के प्रयत्न को लागू किया जाना चाहिये ।
8. नेहरू युवक केन्द्र - नेहरू युवक केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों में जिला स्तर पर कार्यान्वित है। इस समय देश में 398 नेहरू युवक केन्द्र 398 जिलों में कार्यरत हैं । इनका प्रमुख लक्ष्य राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों को गैर छात्र ग्रामीण युवकों में जागरूकता पैदा करना है। ये निम्न कार्यों द्वारा पूर्ण किया जाता है । जैसे- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, व्यावसायिक प्रशिक्षण राहत क्रिया-कलाप, सांस्कृतिक क्रिया-कलाप, खेल, जिला युवा पुरस्कार इत्यादि ।
9. शारीरिक शिक्षा में शिक्षक प्रशिक्षण की संस्थाएँ - स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले से ही भारत में शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षण की संस्थाएँ प्रारम्भ हो चुकी थीं जिनमें वाई.एम.सी.ए. का स्थान प्रमुख है। वर्तमान समय में भारत के लगभग सभी राज्यों में शारीरिक शिक्षा की संस्थाएँ हैं। महाराष्ट्र में शारीरिक शिक्षा के सर्वाधिक संस्थान हैं। भारत में सबसे पहला शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान सन् 1920 में YMCA द्वारा मद्रास में खुला। स्वर्गीय एच.सी. बक को भारत में शारीरिक शिक्षा का पितामह कहा जाता है। सन् 1914 ई. में श्री हनुमान व्यायामों का प्रचार तथा प्रसार किया गया।
भारत में शारीरिक शिक्षा की महत्वपूर्ण संस्थाएँ
वाई.एम.सी.ए. क्रिश्चियन कॉलेज ऑफ फिजिकल एजूकेशन: भारत में शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक काल को प्रारम्भ करने का श्रेय यंगमैन क्रिश्चियन एसोसिएशन को जाता है। सन् 1910 ई. में वाइ. एम. ए. संस्था की स्थापना हुई तथा सन् 1920 ई. हैरी को बक ने मद्रास में शारीरिक प्रशिक्षण विद्यालय की स्थापना की। सन् 1931 ई. में इसे महाविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। वाई. एम. ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एजूकेशन मद्रास में वैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक मिलने प्रारम्भ हो गये। 1931 ई. में राजकीय शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय हैदराबाद तथा सन् 1932 ई. में राजकीय शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय कोलकाता तथा सन् 1932 ई. में ही क्रिश्चियन कॉलेज ऑफ फिजिकल एजूकेशन लखनऊ तथा सन् 1938 ई. में शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षण संस्थान कान्दीवली (मुम्बई) की स्थापना की गई।
योगदान (Contribution)
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में YMCA के निम्नलिखित योगदान हैं।
1. भारत में सर्वप्रथम प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक देश को उपलब्ध कराये ।
2. शारीरिक शिक्षा को वैज्ञानिक स्वरूप दिया।
3. भारत में शारीरिक शिक्षा को पाठशालाओं में प्रारम्भ करने के लिए भारत सरकार को अपने सुझाव दिये।
4. शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई खोजें कीं ।
5. विदेशी खेलों को भारत में प्रचारित करने में सहायता की।
6. सन् 1920 में बॉलीबॉल खेल को प्रारम्भ करके उसका पूरे भारत में प्रदर्शन किया एवं इसे लोकप्रिय बनाया।
7. हैरी को बक के नेतृत्व में भारत के नौ एथलीटों की एक टीम सन् 1924 के पैरिस ओलम्पिक में भाग लिया।
8. 16 फरवरी से 12 मार्च 1958 ई. में वाई. एम.सी.ए. शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय मद्रास में भारत के सभी शारीरिक शिक्षा के महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की एक सभा का आयोजन किया गया। इसमें 58 संस्थाओं के प्रधानाचार्यों ने भाग लिया। इस सभा द्वारा दिये गये सुझावों से भारत की केन्द्रीय सरकार ने शारीरिक शिक्षा की ओर ध्यान देना प्रारम्भ किया ।
वाई. एम.सी.ए. का उपरोक्त प्रयास शासकीय सहायता के अभाव में विशेष सफलता प्राप्त न कर सका। और अधिकांश प्रान्तों में शारीरिक शिक्षकों के लिये स्थानीय व्यवस्था ही चलती रही। इस संस्था के उपरोक्त प्रयास से भारतवर्ष में आधुनिक खेलों का प्रचार हुआ और श्री एच.सी. बक. श्री टाटा तथा श्री जी. डी. सोंधी के प्रयास से भारतवर्ष 1920 से अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने लगा। शासन की उदासीनता के कारण यह प्रयास अधिक सफल नहीं हो सका ।
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