शारीरिक शिक्षा एवं सामान्य शिक्षा में संबंध: शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना होता है। इस दृष्टि से यदि देखा जाये तो शारीरिक शिक्षा
शारीरिक शिक्षा तथा सामान्य शिक्षा के बीच संबंध बताइए।
शारीरिक शिक्षा एवं सामान्य शिक्षा में संबंध: शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना होता है। इस दृष्टि से यदि देखा जाये तो शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का ही एक अंग है, क्योंकि शिक्षा के लक्ष्य की भाँति इसका लक्ष्य भी व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पूर्ण रूप से विकास करने एवं जीवन-यापन में सुचारु ढंग से प्रशिक्षण देना ही शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य है। इसका लक्ष्य व्यक्तियों के अनुभवों को इस प्रकार प्रभावित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमतानुसार समाज में उचित स्थान प्राप्त हो सके उसकी आवश्यकताओं में वृद्धि एवं सुधार हो सके तथा वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सके। मानव के शरीर, मन और आत्मा का संगठित रूप माना जाता है तथा शिक्षा इस एकीकरण को और अधिक मजबूत बनाने में उपयोगी होती है। चार्ल्स ए. बुचर ने शारीरिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा प्रक्रिया का ही एक अंगभूत भाग माना है। व्यक्तित्व का सर्वोमुखी विकास करना, व्यक्ति को समृद्ध बनाना, व्यक्ति के जीवन को परिपूर्ण और सुव्यवस्थित बनाना जैसे सामान्य उद्देश्य हैं जिनको प्राप्त करना शारीरिक शिक्षा एवं सामान्य शिक्षा दोनों का प्राथमिक लक्ष्य है।
खेल का मैदान एक छोटे 'क्लास रूम' की तरह होता है, जहाँ एक साथ बहुत-सी शैक्षिक प्रक्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। यहीं पर बच्चों को सीखने, अपने को अभिव्यक्त करने एवं दूसरे के व्यवहार को जानने का अवसर प्राप्त होता है। इसके विषय में बुक वाल्टर ने लिखा है कि शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक एकीकरण और समायोजन का अधिकतम विकास करना है। इसलिए व्यक्ति के सर्वांगीण एवं सुव्यवस्थित विकास की दृष्टि से शारीरिक शिक्षा एवं सामान्य शिक्षा का उद्देश्य समान ही है
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