सुख कहानी का उद्देश्य - Sukh Kahani Ka Uddeshya
सुख कहानी का उद्देश्य: भोला बाबू जैसे संवेदनशील पात्र का चरित्र-चित्रण करना लेखक का उददेश्य है। परंतु कहानी का शीर्षक है 'सुख' आज का मनुष्य जीवन की आपाधापी में इतना व्यस्त होता है कि उसे अपने परिवेश एवं प्रकृति की ओर देखने की फुरसत नहीं मिलती। भोलाबाबू ने आवकाश ग्रहण किया। उन्होनें पहली बार सूर्यास्त देखा। उन्हें खुशी हुई यह अनोखी क्षणानुभूति वे सबको बताते हैं। अपनी सुख की अभिव्यक्ति सब में बाँटना चाहते हैं। लेकिन हर कोई उन्हें पागल सा समझते हैं। भोला बाबू के जीवन में दुख तो है ही आवकाश ग्रहण करने के बाद की आर्थिक स्थिति जीवन में आनेवाली रिक्तता। परंतु सुख है प्रकृति सौंदर्य का प्राप्त समय का। जब सुख की बात दूसरों तक नहीं पहुँती तो उन्हें दुख होता हैं। उन्हें रोना आता है। परिवार के लोग मात्र उनके रोने में शामिल होते हैं। मतलब उनका सुख दूसरों तक नहीं पहुँच सका। सूर्यास्त याने संधिकाल भोला बाबू ने अवकाश ग्रहण किया। मतलब तो जीवन समाप्त नहीं हुआ। अब अंधेरा तो नहीं हुआ चलो इसमें भी सुख है। लेखक के जीवन के प्रति आस्थावादी और आशावादी दृष्टिकोन के अनुसार शीर्षक है।