सिक्ख अल्पसंख्यकों की समस्याएं - Sikh Alpsankhyak ki Samasya
जहाँ तक सिक्ख अल्पसंख्यकों का प्रश्न है, वे देश में अल्पसंख्यक हैं लेकिन पंजाब में सिक्खों को जनसंख्या 61 प्रतिशत होने के कारण वहाँ उनकी स्थिति बहुसंख्यक समुदाय की है। शिक्षा, राजनीति, उद्योग और सरकारी सेवाओं में भी सिक्खों का अच्छा प्रतिनिधित्व है। प्रोफेसर मनमोहन सिंह ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में देश को बहुमूल्य सेवाएं दीं। महत्वपूर्ण बात यह है कि सांस्कृतिक आधार पर सिक्ख समुदाय अपने आपको हिन्दू समुदाय से भिन्न नहीं मानता। दोनों ही एक-दूसरे के धर्म और संस्कृति का आदर करते है। इसके बाद भी लगभग 30 वर्ष पहले सिक्खों में एक ऐसा वर्ग बनने लगा जिसने सिक्खों को हिन्दुओ से बिल्कुल भिन्न मानते हुए अपने लिए खालिस्तान के रूप में एक पृथक राज्य की मांग करना आरम्भ कर दी। इससे कुछ समय के लिए हिन्दू-सिक्ख एकता खतरे में पड़ती दिखायी दी लेकिन जल्दी ही सभी लोग यह समझने लगे कि यह पृथकतावादी आन्दोलन कुछ विदेशी ताकतो की राजनीति से प्रेरित है। वर्तमान में न तो सिक्ख मनोवैज्ञानिक रूप से अपने आपको अल्पसंख्यक मानते हैं और न ही अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में उनकी कोई विशेष समस्या है।