संघात्मक सरकार क्या अर्थ है। संघात्मक सरकार की महत्वपूर्ण विशेषताएं बताइये। संघ सरकार का प्रथम लक्षण यह है कि संविधान लिखित होना चाहिए। संघ सरकार एक स
संघात्मक सरकार क्या अर्थ है। संघात्मक सरकार की महत्वपूर्ण विशेषताएं बताइये।
संघात्मक सरकार भारत की संघात्मक व्यवस्था को अमेरिका के स्थान पर कनाडा से लिया गया है। इस कारण भारत की संघात्मक व्यवस्था कमजोर संघीय व्यवस्था की घोतक है। राज्यों की तुलना में केन्द्र की अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
संघात्मक सरकार की विशेषताएं
- लिखित संविधान
- संविधान की सर्वोच्चता व कठोरता
- शक्तियों का विभाजन
- स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका
- द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका
- राज्यों को अपनी संस्कृति तथा भाषा को बनाए रखने का अधिकार
(1) लिखित संविधान - संघ सरकार का प्रथम लक्षण यह है कि संविधान लिखित होना चाहिए। संघ सरकार एक समझौते का परिणाम होती है जिसमें एक ओर इकाई राज्य तथा दूसरी ओर संघ सरकार होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि दोनों सरकारों के क्षेत्राधिकार, अधिकार और संगठन को स्पष्ट और निश्चित रूप प्रदान किया जाए जिससे संघर्ष की सम्भावना न रहे। यह सब लिखित संविधान द्वारा ही सम्भव हो सकता है। अमेरिका, स्विटजरलैण्ड आदि संघ राज्यों की भाँति भारतीय संघ का संविधान भी लिखित है।
(2) संविधान की सर्वोच्चता व कठोरता - संघ राज्य में संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है। दोनों ही सरकारें संविधान को अपनी शक्तियों का स्रोत तथा आधार मानती हैं। संविधान की स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि वह कठोर भी हो, जिसमें कोई भी सरकार अपने स्वार्थ के लिए आसानी से संशोधन न कर सकें। भारत के संविधान को कठोर संविधान का स्वरूप प्रदान किया गया है।
(3) शक्तियों का विभाजन - संघ सरकार का एक महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि उसके अन्तर्गत शासन की समस्त शक्तियों को इकाई राज्यों तथा संघ-सरकार के बीच विभाजित कर दिया जाता है। भारतीय संविधान के द्वारा भी दोनों सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। इस उद्देश्य के लिए संघ सूची और समवर्ती सूची बनाई गई है।
(4) स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका - संघ शासन के अन्तर्गत संविधान के व्याख्याता तथा संरक्षक के रूप में एक स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका आवश्यक होती है। यह न्यायालय ही केन्द्र तथा राज्यों के मध्य उत्पन्न विवादों का समाधान करता है। इस न्यायालय का निर्णय सभी को मानना पड़ता है, इसलिए इसको सर्वोच्च न्यायालय कहते हैं। भारत में इसको उच्चतम न्यायालय के नाम से पुकारा जाता है।
(5) द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका - संसद में दो सदनों की व्यवस्था की गई है। लोकसभा जनता का प्रतिनिधित्व करती है जबकि राज्य-सभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
(6) राज्यों को अपनी संस्कृति तथा भाषा को बनाए रखने का अधिकार - संघात्मक शासन व्यवस्था में राज्यों को अपनी संस्कृति तथा भाषा को बनाए रखने का अधिकार होता है। भारत में यह अधिकार राज्यों को प्रदान किया गया है।
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