राजनीतिक सहभागिता की उपयोगिता एवं महत्व की व्याख्या कीजिए। राजनीतिक सहभागिता ऐसी गतिविधि है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति सार्वजनिक नीतियों और निर्णयों क
राजनीतिक सहभागिता की उपयोगिता एवं महत्व की व्याख्या कीजिए।
- राजनीतिक सहभागिता के विभिन्न तरीकों को स्पष्ट कीजिए।
- राजनीतिक सहभागिता का अर्थ क्या है?:
- राजनीतिक सहभागिता पर निबंध लिखिए।
राजनीतिक सहभागिता का अर्थ
राजनीतिक सहभागिता ऐसी गतिविधि है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति सार्वजनिक नीतियों और निर्णयों के निर्माण, निरूपण आर क्रियान्वयन की प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेता है। विस्तृत अर्थ में, यह किसी भी राजनीतिक प्रणाली के अंतर्गत किसी राजनीतिज्ञ, सरकारी अधिकारी या साधारण नागरिक की गतिविधि हो सकती है। लोकतंत्र में नागरिक सहभागिता के विश्लेषण के लिए अनेक मापदंड अपनाए जाते हैं। अधिकांश अध्ययनों के अन्तर्गत मतदान में भाग लेने वाले नागरिकों की प्रतिशत मात्रा को राजनीतिक सहभागिता का सूचक मान लिया जाता है। कहीं कहीं राजनीतिक दलों के प्रचार अभियान में हिस्सा लेने वाले नागरिकों की प्रतिशत मात्रा पर भी विचार किया जाता है। राजनीतिक सहभागिता के अनेक तरीके हैं जैसे सामुदायिक गतिविधि जिसके अन्तर्गत समुदाय के सदस्य किसी सामूहिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए जैसे कि स्वच्छता, सुरक्षा इत्यादि की व्यवस्था के लिए एक दूसरे के साथ मिल जुलकर काय करते हैं। इसके अलावा जब कोई नागरिक किसी व्यक्तिगत या सार्व जनिक मामलों को सुलझाने के लिए अपने राजनीतिक प्रतिनिधि से सम्पर्क करता है या जब कोई नागरिक जलसे-जुलूस, विरोध प्रदर्शन, हड़ताल,धरने या बहिष्कार की गतिविधियों में हिस्सा लेता है तो इस कार्यवाही को भी राजनीतिक सहभागिता की अभिव्यक्ति माना जाता है। नागरिक सहभागिता की मुख्य कसौटी यह है कि इस गतिविधि के बल पर कोई नागरिक सार्व जनिक नीति और निर्णयों को कहां तक प्रभावित कर पाता है।
राजनीतिक सहभागिता की प्रकृति
सहभागिता प्रकृति बहुमुखी होती है और साथ ही बहुस्तरीय भी। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की सहभागिता अनेक बार केवल अनौपचारिक और आभासी हो जाती है, अर्थात् जनता अथवा जनता का कोई भाग, अनायास ही राजनैतिक प्रक्रिया के किसी पक्ष में भागीदार हो जाते हैं, किन्तु न तो यह भागीदारी सुविचारित अथवा योजनाबद्ध होती है, न ही यह भागीदारी उससे संबद्ध व्यवस्थागत कारकों से निर्धा रित और प्रभावित होती है। स्वाभाविक रूप से ऐसी ’अचेतन’ और ’यांत्रिक’ भागीदारी राजनैतिक सहभागिता के वास्तविक स्वरूप के समरूप नहीं मानी जा सकती।
राजनीतिक सहभागिता हर प्रकार की, हर संरचनात्मक व्यवस्था की राजनीतिक गतिविधि को भी नहीं कहा जाता है। यह संकल्पना केवल व्यक्ति की राजनीतिक क्रिया के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें ’व्यक्ति’ ही प्रमुख होता है। देश के नागरिकों की ऐसी क्रियाओं को ही राजनीतिक सहभागिता कहा जाता है जो शासन तंत्र की निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करती है। इसमें मूल तथ्य व्यक्ति है। यह व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधि है, अर्थात् राजनीतिक सहभागिता में व्यक्ति का राजनीति में आवेष्टन या उलझाव या राजनीतिक कृत्य अनिवार्यतः रहता है।
ऑमण्ड और पॉवेल ने हित एकीकरण व हित अभिव्यक्ति में राजनीतिक सहभागिता का विवेचन करते हुए राजनीतिक दलों व हित समूहों के या ेगदान का वर्ण न किया है। इससे उनका आशय है कि राजनीतिक सहभागिता में दलों व समूहों की भूमिका को सम्मिलित किया जाता है क्योंकि व्यक्ति राजनीतिक कृत्य का माध्यम इन्हीं में पाता है। दल एवं अन्य राजनीतिक संगठन राजनीतिक सहभागिता के प्रति नागरिक जागरूकता उत्पन्न करने के ही महत्वपूर्ण माध्यम नहीं है अपितु इन्हीं से व्यक्ति का राजनीतिकरण होता है और व्यक्ति राजनीतिक कर्म करने लगता है। अतः राजनीतिक सहभागिता में केवल व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधि नहीं राजनीतिक समूहों व दलों की राजनीतिक क्रियायें भी सम्मिलित हो जाती हैं। राजनीतिक समाजीकरण के इन अभिकरणों से ही तो व्यक्ति राजनीति की ओर झुकता है उसमें राजनीति के प्रति लगाव पैदा होता है, उसकी राजनीतिक भर्ती और राजनीतिकरण होता है। उसकी राजनीति के प्रति यह रूचि,रूख व रवैया ही उसकी राजनीतिक गतिविधि का आधार होता है। राजनीतिक सहभागिता का तात्पर्य नागरिक की राजनीतिक गतिविधि से है और इस अर्थ में वोट देना और वोट देने के लिए व्यक्ति द्वारा प्रचार करना एक सी राजनीतिक गतिविधियां नहीं होते हुए भी राजनीतिक सहभागिता है। दोनों में व्यक्ति का राजनीतिक कृत्य है और दोनों राजनीतिक व्यवस्था की परिधि में किए गए कार्य हैं। अतः राजनीतिक सहभागिता व्यक्ति के उन सब राजनीतिक कार्यों को कहा जाता है जो राजनीतिक व्यवस्था की निर्णयकारिता के प्रभावक होते हैं।
राजनीतिक सहभागिता सीमित अर्थ बोधन वाली संकल्पना है। इसमें व्यक्ति का ऐसा राजनीतिक कर्म जो राजनीतिक व्यवस्था में निष्पादित होता है वही सम्मिलित रहता है। यह नागरिकों की सामूहिकता में निष्पादित गतिविधि नहीं है। यह व्यक्ति का व्यक्तिगत हैसियत से किया गया राजनीतिक कर्म, राजनीतिक क्रिया, राजनीतिक गतिविधियां राजनीतिक व्यवहार है जो राजनीतिक व्यवस्था के अंदर राजनीतिक व्यवस्था उन्मुखी और राजनीतिक निर्णय करता का प्रभावक होता है। यह राजनीतिक व्यवस्था की परिधि में किया गया कर्म है।
मिलब्राथ ने अपनी पुस्तक ’’पोलिटिकल पार्टिसिपेशन’’ में राजनीतिक सहभागिता को समुच्चयी क्रिया माना है। उसके अनुसार जब व्यक्ति राजनीतिक दृष्टि से एक कर्म करता है तो वह दूसरी राजनीतिक क्रिया भी करता हुआ पाया जाता है। जैसे वोट देने वाला व्यक्ति, वोट के लिए प्रचार भी करता है, धन या जन से सहयोग भी देता है तथा राजनीति में उलझाव अन्य तरीकों से राजनीतिक गतिविधि करता है तो तथा राजनीति में उलझाव के अन्य तरीकों से राजनीतिक गतिविधि करता है तो उसकी यह सब गतिविधियां राजनीतिक सहभागिता ही है। मिलब्राथ का यह विचार इस रूप में मान्य है कि इन सब में राजनीतिक क्रिया का केन्द्र व्यक्ति रहता है। यह राजनीतिक कृत्य व्यक्ति के हैं, समूहों या दलों के नहीं है। अतः यह सब कार्य राजनीतिक सहभागिता कहे जायेंगे। यदि व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधि है तो यह राजनीतिक सहभागिता है और अगर उसकी संस्थागत या समूह व्यवस्थाओं दलों व हित समूहों की गतिविधि से है तो यह राजनीतिक सहभागिता नहीं, राजनीतिक सहभागिता की प्रेरक व प्रोत्साहक गतिविधि है। अतः राजनीतिक सहभागिता व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधि से ही सरोकार रखती है।
राजनीतिक सहभागिता की शैलियाँ या रूप
राजनीतिक सहभागिता की कुछ प्रमुख शैलियों या रूप निम्नलिखित हैं
- मताधिकार-जनता को सार्वभौमिक मताधिकार प्राप्त होते हैं। जनता अपने मताधिकार के प्रयोग द्वारा राजनीतिक सहभागिता प्रदर्शित करती है।
- राजनीतिक दल बनाना या इसमें शामिल होना-राजनीतिक दलों का गठन करके या किसी राजनीतिक दल की सदस्यता लेकर राजनीतिक क्रियाकलापों में भाग लेना भी राजनीतिक सहभागिता प्रदर्शित करने की एक शैली है।
- निर्वाचनों में उम्मीदवार बनना-लोकतान्त्रिक देशों में विभिन्न संरचनाओं के गठन हेतु निर्वाचन होते रहते हैं। इन निर्वाचनों में बतौर उम्मीदवार चुनाव लड़ना भी राजनीतिक सहभागिता की एक प्रमुख शैली है।
- राजनीतिकमद्दों पर विचार गोष्ठियाँ,शैलियों सम्मेलनों इत्यादि में सहभागिता- विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श एवं इनके प्रचार-प्रसार हेतु गोष्ठियों, रैलियों, सम्मेलनों इत्यादि का आयोजन करके अथवा इनमें शामिल होकर भी राजनीतिक सहभागिता प्रदर्शित की जा सकती है।
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