राज्य संप्रभुता का धुंधलापन पर टिप्पणी कीजिए।
राज्य संप्रभुता का धुंधलापन
संप्रभुता राज्य की अनिवार्य विशेषता होती है। आधुनिक युग में सम्प्रभु राष्ट्र-राज्यों का विकास हुआ है। इसी परिप्रेक्ष्य में आज राज्य संप्रभुता के धुंधलेपन की बातें भी की जाने लगी हैं। इससे आशय यह है कि वर्तमान राज्य सम्प्रभु तो हैं परन्तु व्यवहारिकता में उनकी संप्रभुता को महाशक्तियाँ, आर्थिक दबाव, अन्तर्राष्ट्रीय संगठन इत्यादि मिलकर प्रभावित करते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर वर्तमान विश्व में 'आर्थिक उपनिवेशवाद' इसी प्रकार का उदाहरण प्रस्तत करता है। वर्तमान में अधिकांश विकासशील व निर्धन राष्ट्र आर्थिक सहायता व अनुदान हेत महाशक्तियों अन्त संगठनों पर आश्रित हैं। ऐसे में ये महाशक्तियाँ इन राष्ट्रों के संसाधनों का मनचाहा प्रयोग करती है। ऐसे में इन राज्यों की संप्रभुता वास्तव में अत्यवहारिक प्रतीत होती है। इसे ही 'राज्य सम्प्रभुता का धुंधलापन' कहा जाता है।