आपने मेरी रचना पढ़ी होगी निबंध का सारांश - हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रस्तुत व्यंग्य प्रधान लेख में हास्य का पुट देते हुये द्विवेदी जी ने साहित्य क्षेत्र में रंगे स्यारों की कलई खोली है। यद्यपि स्वयं द्विवेदी जी गम्भीरतापूर्ण शैली में साहित्य सृजन करते हैं, फिर भी इस निबन्ध में उन्होंने बड़े संयम से विनोद की सृष्टि करके उथले साहित्यकारों पर व्यंग्य बाण बरसाये हैं। विनोद, मानव में सरसता का संचार करता है। दार्शनिक मत के अनुसार विनोद का प्रभाव रासायनिक होता है। दुर्दान्त डाकू में विनोदप्रियता का मिश्रण कर देने से वह प्रजातंत्र का लीडर बन सकता है। समाजसुधारक अखबारनवीस भी बन सकता है।
आपने मेरी रचना पढ़ी होगी निबंध का सारांश - हजारी प्रसाद द्विवेदी
प्रस्तुत व्यंग्य प्रधान लेख में हास्य का पुट देते हुये द्विवेदी जी ने साहित्य क्षेत्र में रंगे स्यारों की कलई खोली है। यद्यपि स्वयं द्विवेदी जी गम्भीरतापूर्ण शैली में साहित्य सृजन करते हैं, फिर भी इस निबन्ध में उन्होंने बड़े संयम से विनोद की सृष्टि करके उथले साहित्यकारों पर व्यंग्य बाण बरसाये हैं।
विनोद, मानव में सरसता का संचार करता है। दार्शनिक मत के अनुसार विनोद का प्रभाव रासायनिक होता है। दुर्दान्त डाकू में विनोदप्रियता का मिश्रण कर देने से वह प्रजातंत्र का लीडर बन सकता है। समाजसुधारक अखबारनवीस भी बन सकता है।
कलकत्ते के चिड़ियाघर के वनमानुष को देखकर लेखक की धारणा हुई कि वह चिन्तनशील है। अध्ययन के पश्चात् मालूम हुआ कि वे चिन्तित इसलिए हैं क्योंकि वे मानवों का भविष्य एवं संसार के रहस्य को जानते हैं।
साहित्य से सम्बन्ध रखने वाले पाँच प्रकार के जीवों लेखक, पाठक, सम्पादक, प्रकाशक तथा आलोचक के क्षेत्र और काम अलग-अलग हैं। एक ही व्यक्ति सब काम वैâसे कर सकता है?
लेखक ने इसी कारण से प्रारम्भ में बताया था कि एक लेखक का दूसरे लेखक से अपने लेख के विषय में पूछना उस लेखक की रसशून्यता तथा विनोदहीनता प्रकट करता है। डॉक्टर भी उसका इलाज नहीं कर पाता अगर किसी दिन मानव को हसोड़ बना दे सकने वाली औषधि तैयार हो जाय। लेखक को दृढ़ विश्वास है कि उसके साहित्य से संसार में क्रान्ति का संचार किया जा सकता है।
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