भालू पर कविता - Poem on Bear in Hindi
ओहो! आया भालू काला।
लम्बे लम्बे बालों वाला।
जुटे मुहल्ले भर के लड़के।
भय है मेरी भैंस न भड़के।
लिये मदारी था जो झोला।
उसे भूमि पर धर के बोला -
अपना नाच दिखा दे भालू!
पाएगा तू रोटी आलू।
गाया उसने -आ-या-या-या।
भालू को डंडा दिखलाया
और बजाया डमरू डम डम।
लगा नाचने भालू छम छम।
नाचो भाई यैसे! यैसे!
कह कर लगा मांगने पैसे।
भालू ने भी खूब हिलाया।
अपनी बालों वाली काया।
पाई पैसे बरसे खन खन।
उन्हें जेब में रख कर फौरन।
हँसता आगे बढ़ा मदारी।
भीड़ लिये लड़को की भारी।
हैं जो अध्यापक चिल्लाते -
आह! न लड़के पढ़ने आते।
वे भी भालू अगर नचावें।
तो न मदरसा सूना पावें।
कविता सख्या - 2
बाल हुए जब बड़े-बड़े, बूढ़े भालू चाचा के।
गुस्से के मारे चाची, उनको बोलीं चिल्ला के।।
बाल कटाने सियार नाई के, घर क्यों न जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते-फिरते इतराते हो।।
भालू बोला सियार नाई ने, भाव कर दिए दूने।
साठ रुपए देने में बेगम, जाते छूट पसीने।।
इतनी ज्यादा मंहगाई है, रुपए कहां से लाऊं?
इससे सोचा है जीवन भर, कभी न बाल कटाऊं।।
नहीं हजामत भालू ने, जब से अब तक बनवाई।
बड़े-बड़े बालों में ही, रहते हैं भालू भाई।।
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