नीला सियार पंचतंत्र की कहानी। Nila Siyar Panchtantra Story: किसी जंगल में एक सियार रहता था। सियार बड़ा चालाक और झूठ था। वह दिनभर तो छिपा रहता था, पर जब रात होती थी तो शिकार के लिए बाहर निकलता और बड़ी ही चालाकी से छोटे-छोटे जीवों को मारकर खा जाता था। एक बार रात में जब सियार शिकार के लिए बाहर निकला, तो बड़ी दौड़-धूप करने के बाद भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। उसने सोचा, जंगल में तो भोजन मिला नहीं, चलो, अब बस्ती की ओर चलें। हो सकता है बस्ती में कुछ भोजन मिल जाए।
नीला सियार पंचतंत्र की कहानी। Nila Siyar Panchtantra Story
किसी जंगल में एक सियार रहता था। सियार बड़ा चालाक और झूठ था। वह दिनभर तो छिपा रहता था, पर जब रात होती थी तो शिकार के लिए बाहर निकलता और बड़ी ही चालाकी से छोटे-छोटे जीवों को मारकर खा जाता था। एक बार रात में जब सियार शिकार के लिए बाहर निकला, तो बड़ी दौड़-धूप करने के बाद भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। उसने सोचा, जंगल में तो भोजन मिला नहीं, चलो, अब बस्ती की ओर चलें। हो सकता है बस्ती में कुछ भोजन मिल जाए।
बस्ती की बात सोचते ही सियार को कुत्तों की याद आई। उसने सोचा, बस्ती में कुत्ते रहते हैं। वह देखते ही भौंकते हुए पीछे लग जाएंगे। फिर तो लेने के देने पड़ जाएंगे। फिर भी सियार बस्ती की ओर बढ़ चला। वह ज्यों-ज्यों बस्ती के भीतर घुसा, कुछ कुत्तों की नजर उस पर पड़ गई। बस, फिर क्या था, कुत्ते भौंकते हुए उसकी ओर दौड़ पड़े। परंतु बस्ती में सियार भाग कर जाता तो कहां जाता ? सियार प्राण बचाने के लिए इधर से उधर और उधर से इधर चक्कर काटने लगा। आखिर एक घर का दरवाजा खुला देखकर सियार उसके भीतर घुस गया।
वह घर रंगरेज का था। घर के भीतर में बहुत बड़ा टब रखा था। जिसमें घुला हुआ नीला रंग भरा था। सियार प्राण बचाने के लिए जल्दी से उसी टब में घुसकर बैठ गया। कुछ देर तक टब में बैठा रहा। जब बाहर कुत्तों का भौंकना बंद हो गया, तो वह टब से बाहर निकला। बाहर निकलने पर वह यह देखकर विस्मित को उठा कि उसका पूरा शरीर नीले रंग का हो गया था। वह अपने शरीर को नीले रंग में रंगा हुआ देखकर आश्चर्यचकित हो उठा। सियार इस तरह प्राण बचा कर वापस जंगल में पहुंचा।
वन के जीवो ने जब सियार को देखा, तो वह भयभीत हो उठे, भाग खड़े हुए, क्योंकि उन्होंने आज तक ऐसे अद्भुत जानवर को कभी नहीं देखा था। सियार ने जब जंगल के जीवो को भागते हुए देखा, तो वह समझ गया कि जंगल के जीव उसके शरीर के नीले रंग को देख कर भाग रहे हैं। वह धूर्त और चालाक तो था ही, उसने अपने शरीर के नीले रंग से लाभ उठाने का निश्चय किया। सियार भागते हुए जंगल के जीवो को पुकार पुकार कर कहने लगा, “अरे भाइयों, तुम सब मुझ से डर कर क्यों भाग रहे हो ? मुझे तो ईश्वर ने अपना दूत बनाकर तुम्हारे ही कल्याण के लिए भेजा है। तुम सब डरो नहीं । मेरे पास आओ, मैं तुम सबको भगवान का संदेश सुनाऊंगा।“
सियार की बात सुनकर जानवरों के मन में कुछ विश्वास पैदा हुआ, कुछ हिम्मत आई । हाथी, शेर, बाघ, भालू, बंदर आदि सभी जानवर सियार के पास इकट्ठे होने लगे। वह सब उसे ईश्वर का दूत समझकर उसका आदर करने लगे । सियार सभी जानवरों को अपने प्रभाव में लाता हुआ बोला, “भाइयों मैं ईश्वर की आज्ञा से इसी जंगल में रहूंगा और तुम्हारा कल्याण करूंगा, पर तुम्हारी ओर से प्रतिदिन मेरे खाने-पीने का तो प्रबंध होना ही चाहिए।“ बात उचित थी । इसलिए जंगल की जिन्होंने सियार की बात मान ली।
वे सभी बड़े आदर से प्रतिदिन उसके खाने-पीने का प्रबंध करने लगे। धूर्त सियार के दिन बड़े सुख से बीतने लगे। उसे अब और क्या चाहिए था। पर झूठ का व्यापार हमेशा नहीं चलता। एक ना एक दिन तो भेद खुल ही जाता है। सियार का भेद भी खुल गया। बात यह हुई कि चांदनी रात थी। जंगल के जानवर सियार के पास एकत्र थे और उसकी लच्छेदार बातों को सुन रहे थे रात थी। अचानक ही जंगल में कई सियार एक साथ बोल उठे, “हुआं, हुआं, हुआं, हुआं।“
बस, फिर क्या था ? जंगल के सभी जानवरों पर सियार का भेद प्रकट हो गया। अरे, यह तो सियार है। अपनी धूर्तता से ईश्वर का दूत बनकर हम लोगों को फंसाएं हुए था। फिर तो जंगल के सभी जानवरों ने सियार को एक क्षण भी जीवित नहीं रहने दिया।
कहानी से शिक्षा : झूठ का व्यापार ज्यादा दिन नहीं चलता।
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