राजा और गिलहरी हिंदी कहानी। King and Squirrel Hindi Story : एक समय की बात है। एक राजा था। वह विद्वान शक्तिशाली और चतुर था और धनवान भी। एक दिन बगीचे में टहलते टहलते उसने अपने मंत्री से कहा, “मेरे सामने कोई भी अपनी प्रशंसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता, क्योंकि मैं ही सबसे श्रेष्ठ हूं।” मंत्री मुस्कुराया और बोला, “महाराज, क्षमा कीजिए। हर व्यक्ति को अपने ऊपर गर्व होता है। कमजोर व्यक्ति को भी अपने आप को बलवान समझता है। जो लोग डींग मारे उन्हें नजरअंदाज करने में ही समझदारी है। दूसरों का घमंड देखकर अपने मन की शांति नहीं खोनी चाहिए।” तभी वहां एक गिलहरी आई। उसके पंजों में एक सिक्का था। सिक्के को दिखाते हुए वह गाना गाने लगी
राजा और गिलहरी हिंदी कहानी। King and Squirrel Hindi Story
एक समय की बात है। एक राजा था। वह विद्वान शक्तिशाली और चतुर था और धनवान भी। एक दिन बगीचे में टहलते टहलते उसने अपने मंत्री से कहा, “मेरे सामने कोई भी अपनी प्रशंसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता, क्योंकि मैं ही सबसे श्रेष्ठ हूं।” मंत्री मुस्कुराया और बोला, “महाराज, क्षमा कीजिए। हर व्यक्ति को अपने ऊपर गर्व होता है। कमजोर व्यक्ति को भी अपने आप को बलवान समझता है। जो लोग डींग मारे उन्हें नजरअंदाज करने में ही समझदारी है। दूसरों का घमंड देखकर अपने मन की शांति नहीं खोनी चाहिए।” तभी वहां एक गिलहरी आई। उसके पंजों में एक सिक्का था। सिक्के को दिखाते हुए वह गाना गाने लगी-
सुनो सुनो सब लोगों, कैसे पैसा छलता
मेरे धन को देख देखकर, राजा जलता भुनता
राजा क्रोधित हो उठा। उसे पकड़ने के लिए भागा। गिलहरी भाग निकली। पर सिक्का गिर गया। राजा ने उसे उठा लिया। उसी शाम को राजा अपने महल में बैठा मेहमानों से बातचीत कर रहा था। अचानक ऊपर से गिलहरी आई और गाने लगी-
धन की रानी हूं मैं, सब को बतला दूं यह बात
मेरे धन को पाकर, राजा इठला रहा है आज
राजा भड़क उठा। मगर मेहमानों के सामने कुछ ना कर सका। उसे अपने गुस्से को काबू में करना पड़ा। अगले दिन सुबह राजा गरीबों को दान दे रहा था। गिलहरी वहां आई और गाने लगी-
क्या कहूं ? कैसे कहूं ? यह भी समझ का फेरा है
दान-धर्म तो राजा करता, लेकिन धन सब मेरा है
राजा ने अपने सेवकों से कहा, “इस दुष्ट गिलहरी को पकड़कर मेरे सामने लाओ।” लेकिन गिलहरी कहां फसने वाली थी। वह चुपचाप वहां से खिसक गई। कुछ घंटों बाद राजा खाना खाने बैठा। गिलहरी ने खिड़की से झांका और गाना गाने लगी-
मेरे धन से देखो राजा, छत्तीस भोग लगाता है
आओ आओ तुम भी देखो, कितना मजा आता है
राजा गुस्से से झल्ला उठा और खाना छोड़कर चला गया। रात को खाना खाते समय गिलहरी फिर से आ गई और वही गाना गाने लगी। अब राजा के गुस्से का ठिकाना न रहा। उसने सिक्का उछाला और गिलहरी की तरफ फेंक दिया। गिलहरी ने सिक्के को उठाया और गाने लगी-
मैं जीती हूं देखो लोगों, राजा ने मुंह की खाई
डर के मारे उसने, मेरी सारी दौलत लौट आई
राजा ने पागलों की तरह गिलहरी का पीछा किया। लेकिन गिलहरी फिर गायब हो गई। राजा पूरी रात बेचैन रहा। सुबह उठते ही राजा ने मंत्री से कहा, “सेना भेजकर सारी गिलहरियों को मार डालो।” मंत्री ने कहा, “मैं आप के गुस्से को समझ सकता हूं। मगर खेतों, घने जंगलों, आदि में लाखों गिलहरियां होंगी। उन्हें पकड़ना इतना आसान नहीं है। पकड़ भी लें तब भी पड़ोसी देशों से गिलहरियां हमारे देशों में आ सकती हैं। आप जब अपने बहादुर सैनिकों को गिलहरियों से लड़ने को कहेंगे तो क्या वह आप का मजाक नहीं उड़ाएंगे ? यही नहीं, इतिहास की किताबों में आप गिलहरियों से युद्ध करने वाले राजा के नाम से प्रसिद्ध हो जाएंगे और उपहास का पात्र बन जाएंगे।”
राजा ने परेशान होकर पूछा, “तो मैं क्या करूं ? मार्च मंत्री ने कहा, “आप गिलहरी की परवाह मत कीजिए। शुरू शुरू में जब गिलहरी डींगे मार रही थी, तब भी यदि आप बिना क्रोध के उसकी बातें सुन लेते तो बात ना बढ़ती।” दूसरे दिन गिलहरी फिर से आई। पहले दिन का गीत गाने लगी। राजा मुस्कुराया और गाने लगा-
यह तो सच है प्रिय गिलहरी दौलत की रानी हो तुम
कौन नहीं जानता यह कि सर्वज्ञानी भी हो तुम
गिलहरी हैरान रह गई। बिना कुछ कहे वहां से चली गई और फिर कभी दिखाई नहीं दी।
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