लालची आदमी की कहानी। Story of a Greedy Man in hindi
धनी सेठ ने पूछा- ये बरतन कैसे बढ गये?
उसने कहा- मांग कर ले जाने वाले बरतनों में से कुछ गर्भ से थे। ये छोटे बर्तन उन्ही के बच्चे हैं।
उसी दिन से सेठ को छोटे बरतनों से लोभ हो गया। उसने बरतन लौटाने वाले उस व्यक्ति को ऐसे देखा मानो उसे कहानी पर विश्वास हो गया हो। इस प्रकार उसने सारे बरतन रख लिये। अब वह सभी लोगों को अधिक से अधिक बड़े बर्तन देता और वापस करने पर छोटे बर्तन भी मानता। बर्तन ना दे पाने पर वह गाँव वालों पर चोरी का इल्जाम लगाता।
कुछ दिन बाद वही व्यक्ति फिर से बरतन मांगने आया। सेठ ने मुस्कुराते हुए बरतन दे दिये। काफी समय तक बरतन वापस नहीं मिले।
इस पर सेठ ने उस व्यक्ति से बर्तन ना देने का कारण पूछा।
बरतन मांग कर ले जाने वाले व्यक्ति ने जवाब दिया- मैं वह बरतन नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी मृत्यु हो गयी है।
धनी सेठ ने पूछा- परंतु बरतन कैसे मर सकते हैं? उत्तर मिला- यदि बरतन बच्चे दे सकते हैं, तो वे मर भी सकते हैं.
अब उस धनी सेठ को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह हाथ मलता रह गया।
यह कहानी झारखंड की प्रसिद्ध लोक कथा है जिसे आज भी लोग मजे से एक-दूसरे को सुनाते हैं।
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