योग पर निबंध : योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है। योग पद्धति का सूत्रधार महर्षि पतंजली को माना जाता है। सर्वप्रथम महर्षि पतंजलि ने ही योग की सूत्रों का संकलन किया। यह एक ऐसी पद्धति है जिसके माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के मध्य संतुलन स्थापित किया जा सकता है। यह पूरी तरह से अनुशासन पर आधारित पद्धति है। इसकी की सहायता से मन पर काबू पाया जा सकता है और मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।
योग पर निबंध। Essay on Yoga in Hindi
योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है। योग पद्धति का सूत्रधार महर्षि पतंजली को माना जाता है। सर्वप्रथम महर्षि पतंजलि ने ही योग की सूत्रों का संकलन किया। यह एक ऐसी पद्धति है जिसके माध्यम से शरीर, मन और आत्मा के मध्य संतुलन स्थापित किया जा सकता है। यह हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने का एक स्वाभिविक तरीका है। योग को अपनी दिनचर्या का अंग बना लेने से हम स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योग के जरिए न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि स्वयं के अंदर एक नयी ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। शरीर को सही आकार में लाने के लिए यह बहुत सुरक्षित, आसान और कारगर तरीका है।
योग मुख्य रूप से आसन, श्वास लेने की कला और अभ्यास पर आधारित पद्धति है। ध्यान और समाधि भी इसके ही अंग हैं परन्तु वर्तमान में केवल आसन, व्यायाम और अनुलोम-विलोम तक ही योग सीमित होकर रह गया है। यह पूरी तरह से अनुशासन पर आधारित पद्धति है। इसकी की सहायता से मन पर काबू पाया जा सकता है और मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।
योग के लाभ : रोज प्रातः उठकर योगाभ्यास करने से बीमारियों से बचा जा सकता है। छात्रों को तो योग जरूर करना चाहिए क्योंकि इससे यादशात और एकाग्रता में वृद्धि होती है। इसके अभ्यास से मन निर्मल रहता है और कुविचार नहीं आते। योग का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्तर पर कई बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। योगासन या आसन हम अपने शरीर को लचीला बना सकते हैं। यही कारण है की आज ओलम्पिक में भाग लेने वाले जिमनास्ट योग का प्रशिक्षण भी लेते हैं। यह बुढ़ापे को दूर रखने में सहायक है। जो लोग रोजाना योगाभ्यास करते हैं उन्हें उच्च या निम्न रक्तचाप की समस्या नहीं होती है। यह मन की चंचलता को भी काम करता है जिससे अच्छे विचार आते हैं और व्यक्तित्व का सही रूप से विकास होता है।
योग एक व्यावहारिक दर्शन की तरह है जो नियमित अभ्यास के माध्यम से हमारे भीतर आत्म-अनुशासन और आत्म-जागरूकता विकसित करता है। योग किसी भी उम्र में किसी के भी द्वारा अभ्यास किया जा सकता है क्योंकि यह उम्र, धर्म या स्वास्थ्य परिस्थितियों के परे है। योग के लिए बस अनुशासन और दृढ संकल्प ही तू आवश्यक शर्तें हैं। साथ ही यह जीवन में परिवर्तन, शारीरिक और मानसिक समस्याओं के बिना स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
योग दिवस : योग और इससे होने वाले लाभों के बारे में सम्पूर्ण विश्व को अवगत कराने हेतु हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग के रूप में मनाने करने का सुझाव दिया है। जिससे सभी योग का महत्व समझें और इससे लाभ ले सकें। योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसका सृजन भारत में हुआ। भारत में आज भी योगी इसी कला के निरंतर अभ्यास से स्वस्थ रहकर ध्यान करते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में योग से होने वाले लाभों को देखकर, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया।
योग के प्रकार : योग में कई शाखाएं हैं जैसे राजयोग, कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और हठ योग। लेकिन जब ज्यादातर लोग भारत या विदेशों में योग के बारे में बात करते हैं, तो उनका आमतौर पर हठ योग होता है, जिसमें ताड़ासन, धनुषासन, भुजंगासन, कपालभांति और अनुलोम-विलोम जैसे कुछ व्यायाम शामिल होते हैं। योग पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा की एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।
उपसंहार : योग के अनगिनत लाभ हैं, हम केवल यह कह सकते हैं कि योग भगवान द्वारा मानव सभ्यता को दिया गया वरदान है। यह सच में किसी चमत्कार से काम नहीं है की जिन बीमारियों का वर्तमान चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है ,आज योग के माध्यम से लोग उन पर विजय पा रहे हैं। यह शारीरिक और मानसिक लाभ तो देता ही है साथ ही हमें आत्मज्ञान भी कराता है। यह हमारे अंदर प्रकृति के लिए सम्मान भी उत्पन्न करता है।
jivan mei yog ka utna hi matavh hai jitna ki jal ka .....
ReplyDeletemujhe yeh nibandh padhkar sachme maharshi patanjali ki yaad aa gayi
धन्यवाद
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