विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध : सभी प्रणियों में मस्तिष्क विद्यमान है परंतु मनुष्य का मस्तिष्क अपने शरीर के अनुपात में अनय प्रणियों से काफी बड़ा है। अपनी इस प्राकृतिक विशेषता का लाभ मनुष्य को यह हुआ है कि वह विशेष ज्ञान प्राप्त कर सकता है। खोज और प्रयोग कर सकता है और अपनी किसी भी असंभव-सी लगने वाली कल्पना को साकार कर सकता है। कल्पनाओ को हकीकत में बदलने तथा असंभव को संभव कर देने वाली विद्या है विज्ञान तथा उस विषय के ज्ञाता और प्रयोक्ता हैं- वैज्ञानिक।
विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध। Essay on Science Boon or Curse in Hindi
कल्पनाएँ असीम होती हैं और मानव का मस्तिष्क इतना उर्वर है कि एक कल्पना के साकार होते न होते दूसरी कल्पनाएँ उभरने लग जाती हैं और एक आवि,कार से पूरी हुई कल्पना के बाद दूसरे फिर तीसरे आविष्कार की आवश्यकता वैज्ञानकों के समक्ष चुनौती बनकर खड़ी हो जाती है।
संतुष्ट होकर बेठ जाना या निष्क्रिय रहना मानव का स्वभाव नहीं है। सृष्टि में वन और पाषाण काल से लेकर अब तक मानव ने अपनी विकास-यात्रा में पत्थर से पहिया और फिर धरती से अंतरिक्ष तक की यात्राएँ सफलता पूर्वक पूरी की हैं.
सुख-सुविधाओं की अदम्य लालसाओं के वशीभुत मानव-समुदाय के लिए वैज्ञानिकों ने सूई से लेकर हवाई जहाज तक अनेक आविष्कार किये हैं। रेडियो टीवी टेलीफोन कंप्यूटर ईंटरनेट तथा ऐक्स के द्वारा संचार-व्वयस्था में उपग्रहों के प्रयोग द्वारा मानव-जीवन मेंक्रांतिकारी परिवर्तन आया है। मानव-समाज आज क्षेत्रीय संस्कृति से ऊपर उठकर विश्व-समुदाय बनने की तैयारी कर चुका है। सारा संसार आज विश्वग्राम बनकर खड़ा होने की कोशिश कर रहा हैं।
विद्युत की खोज मानव-समुदाय की एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। बड़ी से बड़ी दानवाकार मशीन हमारे एक बटन दबाते ही धड़धड़ाती हुई चलने लगती है इस विद्युतकी महिमा और प्रभाव से। सर्दी में हीटर और गर्मी में कूलर तथा आने-जाने के लिए यातायात कि नित नूतन साधन चिकित्सा विज्ञान में अविश्वसनीय त्रमताओं से युक्त उपकरणों का आविष्कार तथा क से बढ़कर एक उपयोगी औषधियों की खोज और निर्माण से मानव-समुदाय के स्वास्थ्य और दीर्घजीवन की कामना अंशतः फलीभूत हुई है।
आबादी तेजी से बढ़ी है और बढ़ी हुई आबादी के अनापत में जरूरतें भी बढ़ी हैं। रोटी कपड़ा और मकान की समस्या से जूझते लोगों को राहत पहुँचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक हरित क्रांति और श्वेत क्रांति जैसी स्थितियों का निर्माण कर सकने में सक्षम हैं। विश्व-समुदाय को अब भरोसा है और विश्वास भी कि हमारे वैज्ञानिक हमें भूखे नहीं मरने देंगे।
मारने वाले बचाने वाला बलवान भी होता है और महान भी। पालन-पोषण रक्षा-सुरक्षा ये सब पुण्य के कार्य हैं जो वैज्ञानिक आविष्कारों द्वारार संपन्न हुए और हो रहे हैं। इसी उद्देश्य से वैज्ञानिकों के कदम अंतरिक्ष की गहराइयाँ नापने के लिए बेचैन हो रहे हैं। अनंत अंतरिक्ष में जीवन की खोज और विश्व-मानव-समुदाय की जरूरतों हेतु अंतरिक्ष में संभावित स्त्रोतों का दोहन हमारे होनहार वैज्ञानिक कर के रहेंगे।
रोबोटिक्स में इतनी प्रगति हुई है कि दाँतों तले ऊँगली दबा लेनी पड़ती है। किस्म-किसम् के रोबोट तैयार किए जा चुके हैं जो बड़ी सफाई से अपनी ड्यूटी निभाते हैं। लगता है कि विकसित होते-होते किसी दिन रोबोट को देख कर हम उसे पनी तरह की इनसान समझनेकी भूल न कर बैठें। क्लोनिंग के चमत्कार ने तो एक बारगा सारी दुनिया में हलचल मचा ही दी है।
विज्ञान के इस उज्जवल पक्ष के हम मुरीद हैं पर प्रतिपक्ष बड़ा वीभत्स और भयानक है। वैज्ञानिक प्रगति के फलस्वरूप औद्यौगिक प्रगति हुई और उद्योगों से निकलकर औद्योगिक कचरा नदियों के जल मैदानों की उर्वर मिट्टी तथा वातावण या कहें कि पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।
औद्यौगिकीकरण से तापमान बढ़ रहा है जिससे ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है और समुद्र का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। भय है कि भविष्य में बहुत से स्थानों को बढ़ता हुआ समुद्र लील लेगा। वाहनों और यंत्रों के शोर-शराबे से ध्वनि-प्रदूषण हो रहा है लोग बहरेपन और उच्च-रक्तचाप के रोगी होते जा रहे है। मानसिक शांति दुर्लभ होती जा रही है।
व्यापक विनाश करने वाले आणविक जैविक और रासायनिक अस्त्रों का निरंतर विकास और निर्माण जारी है और जबतक ऐसे अस्त्रों का अस्तित्व विद्यामान है विश्व-मानवता पर व्यापक विनाश का खतरा लगातार कायम है। भगवान न करे कोई ऐसा विनाशक-यंत्र विश्व में किसी सिरफिरे आतंकवादी के हाथ पड़ जाए फिर क्या होगा कल्पना से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विज्ञान की अद्भुत देन का रचनात्मक कार्यों में ही प्रयोग करें । विज्ञान के दुरुपयोग के विरुद्ध अभियान छेड़ा जाना चाहिए । विश्व के समस्त देशों को विश्व शांति का प्रयास करना चाहिए तथा हथियारों की जो होड़ बढ़ती जा रही है उसका विरोध एवं उस पर अंकुश लगाना चाहिए ।
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