- पुस्तक हमारी सच्ची मित्र,
- प्रेरणा की स्रोत,
- विकास की सूत्रधार,
- प्रचारका साधन,
- मनोरंजन का साधन।
पुस्तकें हमारी मित्र हैं। वे अपना अमृतकोष सदा हम पर न्यौछावर करने को तैयार रहती हैं। पुस्तकें प्रेरणा का भण्डार होती हैं। उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान काम करने की प्रेरणा मिलती है। महात्मा गांधी को महान बनाने में गीता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैथिलीशरण गुप्त की "भारत-भारती" पढ़कर कितने ही नौजवानों ने आज़ादी के आंदोलन में भाग लिया था। पुस्तकें ही आज की मानव सभ्यता के मूल में हैं। पुस्तकों के द्वारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते पहुँचते सारे युग में फ़ैल जाता है। पुस्तकें किसी भी विचार, संस्कार, या भावना के प्रचार का सबसे शक्तिशाली साधन है। तुलसीदास के "रामचरितमानस" ने तथा व्यास रचित "महाभारत" ने अपने युग को तथा आने वाली पूरी तरह प्रभावित किया। पुस्तकें मानव के मनोरंजन में भी परम सहायक सिद्ध होती हैं। मनुष्य अपने एकांत क्षण को पुस्तकों के साथ बिता सकता है। किसी ने कहा है - पुस्तक एक जाग्रत देवता है। उनसे तत्काल वरदान प्राप्त किया जा सकता हैं।
पुस्तकालय पर अनुच्छेद यहाँ पढ़ें।
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