जब हम पिकनिक पर गए हिंदी निबंध: पिकनिक का अर्थ खूबसूरत प्रकृति के बीच भोजन करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि, यह परिवार के साथ एक खास रिश्ता बनाने का माध
जब हम पिकनिक पर गए हिंदी निबंध - Jab hum Picnic par gaye Essay in Hindi
जब हम पिकनिक पर गए हिंदी निबंध: पिकनिक का अर्थ खूबसूरत प्रकृति के बीच भोजन करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि, यह परिवार के साथ एक खास रिश्ता बनाने का माध्यम है। सर्दियों के हल्के दिनों में, जब सूरज की किरणें गुनगुनी सी लगती हैं, हमारे परिवार ने पास ही एक नदी के किनारे पिकनिक मनाने का फैसला किया। पिकनिक से एक दिन पहले ही घर में उत्साह का माहौल छा गया। हम भाई-बहन पूरे दिन यही सोचते रहे कि क्या खाना बनाना है, कौन से खेल खेलने हैं। हर किसी के मन में इस खास दिन को लेकर बेचैनी थी।
अगले दिन सुबह सूरज निकलते ही हमने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया। माँ के हाथों का बना स्वादिष्ट भोजन डिब्बों में भर गया। कार में बैठते ही हमने "अंताक्षरी" खेलना शुरू कर दिया। रास्ते का सफर हंसी-खुशी और गानों से गुंजायमान हो गया। दो घंटे की यात्रा के बाद हम नदी के किनारे उस मनमोहक पिकनिक स्थल पर पहुँच गए।
वहां का नजारा देखते ही हम सब मुग्ध रह गए। हरे-भरे मैदान के बीच-बीच में पेड़ों की रमणीय छाँव थी। नदी का शांत धारा बहता हुआ मानो हमें अपनी ओर बुला रहा था। दूर क्षितिज पर नदी और आसमान एक-दूसरे में मिलते हुए एक अनंत का भ्रम पैदा कर रहे थे। ठंडी हवा के झोंके पेड़ों की पत्तियों को सरसराते हुए हमें सुकून दे रहे थे।
पहले तो हमने बड़ों के साथ मिलकर गली क्रिकेट और लुकाछिपी खेली। धीरे-धीरे सूरज चढ़ने लगा और हम बच्चों ने अपनी ही दुनिया बना ली। हम नदी के किनारे दौड़ते, कूदते और रेत में मूर्तियां बनाते हुए खूब मौज-मस्ती कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम सब एक साथ इकट्ठे हुए और माँ के हाथ का बना स्वादिष्ट भोजन खाने लगे। खुले आसमान के नीचे, प्रकृति की गोद में भोजन हमेशा से भी ज्यादा स्वादिष्ट लग रहा था।
भोजन के बाद हमने नाव की सवारी का मजा लिया। नदी के बीचोंबीच नाव चलाते हुए, ठंडी हवा का स्पर्श महसूस करना एक अलग ही अनुभव था। सूरज की किरणें पानी पर चमक रही थीं, मानो हीरे बिखरे हों। शाम ढलने लगी तो हमने नदी के किनारे अलाव जलाया और उसके सामने बैठकर कहानियां सुनाईं, गाना गाया और खूब हंसे। तारों से भरा हुआ आसमान देखते हुए लगा कि हम किसी सपनों की दुनिया में आ गए हैं।
वापसी का समय आते ही मन में थोड़ी उदासी जरूर हुई, लेकिन उससे कहीं ज्यादा खुशियां थीं। यह पिकनिक सिर्फ मौज-मस्ती का ही नहीं, बल्कि एक-दूसरे के साथ के बंधन को मजबूत करने का भी जरिया बनी। घर वापसी के बाद भी पिकनिक की यादें हमारे जेहन में ताजा रहेंगी। यह पल हमें हमेशा याद दिलाएगा कि खुशियां बड़ी चीजों में नहीं, बल्कि परिवार के साथ बिताए ऐसे छोटे-छोटे पलों में ही छिपी होती हैं।"
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