मनुष्य की बचपन की आदतें उसका भविष्य निर्धारित करती हैं। यदि किसी व्यक्ति में अच्छी आदतें होती हैं तो वह बड़ा होकर अच्छा इंसान बन जाता है और यदि उसमें बुरी आदतें होती हैं तो वह बुरा आदमी बन जाता है। बचपन में मेरी माँ मुझे अच्छी-अच्छी वीरों की बहादूरी की कहानियाँ सुनाती थी मेरे पिताजी प्रतिदिन स्नान के बाद रामायण और गीता का अध्ययन करते थे। इससे मुझमें अच्छी आदतें आ गईं। मैं बचपन में प्रतिदिन फुटबॉल खेलता था¸ व्यायाम करता था¸ दौड़ लगाता था¸ पुस्तकालय में समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ता था। कई बार मैं अपने आस-पास की घटनाओं से प्रभावित होकर कहानियाँ और कविताएँ भी लिख लेता था। मेरी इन आदतों से मेरे अध्यापक मुझसे अत्यंत प्रसन्न रहते थे। इसके अतिरिक्त मेरे माता-पिता भी मुझसे बहुत खुश रहते थे क्योंकि मैं उन्हें कभी सताता नहीं था। सदैव उनका कहना मानता था और उनकी सेवा करता था। मेरे माता-पिता की सेवा करने के कारण कुछ लोग मुझे श्रवण कुमार भी बुलाते थे। मेरे माता-पिता मुझसे हमेशा यही कहा करते थे कि मैं ऐसे बच्चों की सोहबत से दूर रहूँ जो सिगरेट-बीड़ी या शराब पीने वाले अथवा जुआ खेलने वाले हैं। यदि सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं सीख दें तो सभी बच्चे श्रवण कुमार या राम बन सकते हैं।
Wednesday, 21 March 2018
Author: positive look
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