भारत की 70% जनसँख्या गांवों में ही निवास करती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए यहां गांवों की प्रधानता होना स्वाभिविक है।
प्रस्तावना : गाँधी जी कहा करते थे की 'हिंदुस्तान सहरों में नहीं ,गांवों में बसता है। वास्तव में गाँव भारतवर्ष की आत्मा है। भारत की सभ्यता और संस्कृति का विकास गावों में ही हुआ है। आज भी भारत की 70% जनसँख्या गांवों में ही निवास करती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए यहां गांवों की प्रधानता होना स्वाभिविक है।
" है अपना हिंदुस्तान कहाँ, वह बसा हमारे गावों में। "
गांवों की जलवायु : गाँव का जीवन बड़ा सुखमय है , यहाँ शांति है, सुंदरता है। गावों की जलवायु स्वास्थ्य बहुत ही अच्छी। की शुद्ध है। इसलिए यहाँ के लोग प्रायः नीरोग होते हैं। हवा में सांस लेते हुए लोग बीमार पड़ जाते हैं। तब वे गावों की ओर भागते हैं। शुद्ध वायु हजारों दवाइयों से अच्छी है। तभी कहा भी गया है कि ----
"है जैसा गुण यहाँ की हवा में, प्राप्त नहीं डाक्टरी दवा में। "गावों का पानी भी स्वास्थय के लिए बहुत लाभदायक होता है। गावों में शुद्ध घी और शुद्ध दूध मिलता है। काफी पैसा खर्च करके भी ऐसा दूध व घी हम सहर में प्राप्त नहीं कर सकते।
गावों का प्राकृतिक सौंदर्य :गांवों में प्रकृति की निराली सुंदरता चरों ओर दिखाई पड़ती है। ऊँचे-ऊँचे वृक्ष,कल-कल करती नदियां, फुदकते हुए पक्षी, पांच फैलाकर नाचते मोर, महकते हुए फूलों पर मंडराते भौंरे , पेड़ों पर बैठे पक्षी किसे आकर्षित नहीं करते। गावों का पानी व वायु स्वच्छ होती है। प्रदूषण व शोर गुल नहीं व्याप्त होता है। गावों से हमें प्रकृति व मनुष्यों के बीच एक ऐसा अनूठा रिश्ता देखने है जिसमे दोनों ही एक दुसरे का सम्मान करते है व एक दुसरे पर परस्पर निर्भर है।
गावों की वर्तमान दशा : गाँव के जीवन के ये भारी सुख भले ही काफी अच्छे लगते है। लेकिन वास्तव में गाँव वासियों का अभाव और दरिद्रता में ही काटता है। सारे देश को अन्न देने वाला स्वयं एक समय भोजन करके ही रहता है। वर्तमान में किसानों की दशा अत्यंत दयनीय है। उनका जीवन गरीबी से ग्रस्त है। जिसके कारण अधिकाँश ग्रामीण आबादी कुपोषण व अशिक्षा से ग्रस्त है। गावूं में समय से बिजली ना आ पाने के कारण बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। यातायाता के साधन भी गावों में उचित मात्रा में उपलब्ध नहीं होते।
सुधार की आवश्यकता : स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात गावों की दशा सुधारने का बहुत है। गावों सहरों तक सड़कें बनायी गयीं है। गावों में ट्यूबवेल .शिक्षा गए है। परंतु सच्चाई यह है की आज भी अधिकाँश गाँव इन मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। गावों में समय से बिजली नहीं आती है। आधे से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहाँ आज भी पक्की सड़क तक नहीं बनी है। बहुत से गावों के पास तो बैंक तक नहीं है। अतः हमें गांवों के विकासके लिए और प्रयत्न करने चाहिए।
उपसंहार : यदि गांवों का सुधार हो गया तो निश्चित ही हमारा देश स्वर्ग के समान हो जाएगा। क्योंकि किसी ने सच ही कहा है की भारत की आत्मा उसके गावों में निवास करती है।"अहा !ग्राम जीवन भी क्या है,क्यों न इसे सबका मन चाहे। "
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